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रांची : बलात्कार व हत्या के विरोध में जुटे लोग, कहा मानसिकता में हो बदलाव

महिलाओं के साथ होनेवाली हिंसा का वैचारिक आधार परंपरागत पितृसत्तात्मक सोच मात्र कानून में बदलाव लाने या नया कानून बनाने से स्थिति नहीं सुधरेगी, चौतरफा रणनीति बनाने की जरूरत रांची : महिला, किशोरी और बच्चों के खिलाफ हिंसा, विशेष कर बलात्कार व हत्या के विरोध में लोगों ने एकजुटता दिखाते हुए अलबर्ट एक्का चौक पर […]

महिलाओं के साथ होनेवाली हिंसा का वैचारिक आधार परंपरागत पितृसत्तात्मक सोच
मात्र कानून में बदलाव लाने या नया कानून बनाने से स्थिति नहीं सुधरेगी, चौतरफा रणनीति बनाने की जरूरत
रांची : महिला, किशोरी और बच्चों के खिलाफ हिंसा, विशेष कर बलात्कार व हत्या के विरोध में लोगों ने एकजुटता दिखाते हुए अलबर्ट एक्का चौक पर शांतिपूर्ण विरोध दर्ज किया़ इस क्रम में काली पट्टी लगा कर मानव शृंखला बनायी और 10 मीटर लंबे बैनर पर हस्ताक्षर अभियान चलाया़
राह से गुजरते वाहनों पर ‘हिंसा मंजूर नही’ का स्टीकर भी लगाया गया़ इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष महुआ माजी ने कहा कि कानून और सख्त होने चाहिए़ ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जो चिंता की बात है़ अभिभावक बच्चों से खुल कर बात करे़ं माता-पिता और समाज के लोग भी नजर रखे़ं
अधिवक्ता रेशमा सिंह ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 हमें सम्मान के साथ जीने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण का अधिकार देता है़ वही सीडॉ (कंवेंशन ऑन एलिमिनेशन आॅफ ऑल फॉर्म्स ऑफ डिस्क्रिमिनेशन अगेंस्ट वीमेन) इस ओर ध्यान दिलाता है कि महिलाओं के साथ होनेवाली हिंसा के विभिन्न स्वरूप कोई घटना मात्र, किसी क्रिया की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि इसका वैचारिक आधार पितृसत्तात्मक सोच है.
यह सदियों से निर्धारित करता रहा है कि परिवार के अंदर, कार्यस्थल पर और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भूमिका क्या, कैसी और कितनी होगी़ भारत सरकार ने भी यह माना है कि इस विचारधारा या मानसिकता में बदलाव लाने के लिए कार्य करने की जरूरत है़ वर्तमान में महिला के सम्मानपूर्वक, सुरक्षित और आत्म निर्णय के अधिकारों को रौंदा जा रहा है़ इसलिए मात्र कानून में बदलाव लाने या नया कानून बना लेने से स्थिति नहीं सुधरेगी़ हमें चौतरफा रणनीति बनाने की जरूरत है, ताकि पितृसत्तात्मक विचारधारा का जाल तोड़ा जा सके़
सरकार से की गयी मांग
इस अवसर पर सरकार से मांग की गयी कि झारखंड महिला नीति को प्रभावी तरीके से लागू किया जाये. जेंडर के आधार पर होनेवाले भेदभाव को समाप्त करने के लिए स्कूल के पाठ्यक्रम में इन मुद्दों को जोड़ा जाये. जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशें पूरे देश में प्रभावी तरीके से लागू की जाये़ं इस अवसर पर अजय कुमार, राजन कुमार, एचए फातमी, महेंद्र, अनंगदेव सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे़

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