रांची: मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती बुधवार को राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं का जायजा लेने सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में निकले. वह रात को करीब 8.25 बजे रांची से खूंटी के लिए रवाना हुए. वह खूंटी से सीधे तोरपा की ओर बढ़े.
रात करीब 9.10 बजे तोरपा स्थित रेफर अस्पताल पहुंचे. अस्पताल साफ सुथरा था. पानी की व्यवस्था थी. वार्ड में मरीज भरती थे, लेकिन डॉक्टर मौजूद नहीं थे. कैंपस में ही प्रभारी चिकित्सक डॉ नागेश्वर मांझी का घर था. जानकारी होने पर प्रभारी भी वहां पहुंचे. सिस्टर स्वेता खलखो मौजूद थी. मुख्य सचिव ने कहा कि हॉस्पिटल तो चकाचक है, लेकिन एंबुलेंस है या नहीं, ड्राइवर है या नहीं. लेकिन उन्हें कोई नहीं मिला. सिस्टर से पूछा, आपके यहां कितने डॉक्टर हैं. मुख्य सचिव ने प्रभारी को व्यवस्था सुधारने का निर्देश दिया. इसीजी मशीन कपड़े से ढकी थी. इसके बाद मुख्य सचिव वार्ड में पहुंचे. महिला वार्ड में भरती मरीज जिसका प्रसव हुआ था, उसे पैसे मिले या नहीं इसकी जानकारी ली.
कामडारा में नहीं थे, मरीज व डॉक्टर यहां से मुख्य सचिव का काफिला गुमला की ओर रवाना हुआ. रात करीब 9.45 में वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कामडारा पहुंचे.
अस्पताल में चिकित्सक एवं कर्मचारी मौजूद नहीं थे. डय़ूटी पर डॉ चंचल गुप्ता मौजूद नहीं थीं. वहां मौजूद आयुष चिकित्सक डॉ विनय तिवारी ने बताया कि वह रांची में रहती हैं. मुख्य सचिव के आने की जैसे ही सूचना मिली, कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. अस्पताल के निरीक्षण के दौरान वार्ड में एक भी मरीज भरती नहीं मिला. अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर तो था, लेकिन उसमें ऑक्सीजन नहीं था. ऐसे में मुख्य सचिव ने कहा: बॉस ऐसे में तो मरीज ही मर जायेगा. डॉ तिवारी ने बताया कि केंद्र में तीन महिला एवं पुरुष चिकित्सक है, लेकिन कोई अस्पताल में नहीं था. डॉ निशांत कुजूर एक साल से गायब हैं, इसकी जानकारी भी मिली. इसके बाद मुख्य सचिव ने वहीं अपने ब्लड प्रेशर की जांच करायी.
ओपीडी रजिस्टर एवं डिलिवरी रजिस्टर में दर्ज मरीजों के नामों के हिसाब से बुधवार को 38 मरीजों की जांच हुई. इसके बाद देर रात 10. 30 मुख्य सचिव रेफर अस्पताल बसिया पहुंचे, वहां पर मरीज थे, लेकिन बिजली नहीं थी. जनरेटर से बिजली की आपूर्ति की जा रही थी. प्रभारी चिकित्सक डॉ बीडी उरांव ने बताया कि 20 दिन से बिजली नहीं है.