हर तकलीफ बन गयी शान जब अंगुली पर लगा निशान

वार्ड नंबर छह के मतदान केंद्र सुरेंद्रनाथ सेंटेनरी स्कूल में चल रही वोटिंग का नजारा कुछ अौर ही था. यहां जब लाेग दिव्यांगों को एबुंलेंस से उतर कर वोट करते देख रहे थे, तो आश्चर्यचकित हो रहे थे. यह सिलसिला छह बार चला. हर बार एंबुलेंस आती अौर छह दिव्यांगों को बूथ पर उतारती अौर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 17, 2018 9:02 AM
वार्ड नंबर छह के मतदान केंद्र सुरेंद्रनाथ सेंटेनरी स्कूल में चल रही वोटिंग का नजारा कुछ अौर ही था. यहां जब लाेग दिव्यांगों को एबुंलेंस से उतर कर वोट करते देख रहे थे, तो आश्चर्यचकित हो रहे थे. यह सिलसिला छह बार चला.
हर बार एंबुलेंस आती अौर छह दिव्यांगों को बूथ पर उतारती अौर वोट दिला कर वापस चली जाती. इस तरह 35 दिव्यांगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. चेशायर होम के ये फिजिकली चैलेंज उन आम युवाअों को सीख दे रहे थे, जो हर सुविधा पाने के बाद भी वोट करने नहीं निकलते. यहां दिव्यांगों ने अपना वोट देकर यह साबित कर दिया कि मन में कुछ करने का भाव हो, तो लाचारी आड़े नहीं आती़
अपने नगर सरकार को चुनने का हक वे भी रखते हैं. दोपहर लगभग एक बजे के करीब चेशायर होम की एंबुलेंस यहां पहुंची. आधा दर्जन से ज्यादा दिव्यांग यहां एक-एक कर व्हील चेयर के सहारे उतरते दिखे़ हर किसी को बस यह ललक थीकि उनका वोट अच्छे से हो जाये़ उनका वोट सही व्यक्ति तक पहुंच जाये़ सबसे पहले एंबुलेंस से सुनीता उरांव उतरी, जो पैर से लाचार थी.
व्हील चेयर के माध्यम से बूथ तक पहुंची. बकौल सुनीता वह अब तक तीन बार वोट दे चुकी है. इस बार उसने चौथी बार वोट डाला अौर काफी खुश है. वहीं, संध्या एक्का वर्ष 2000 में रांची चेशायर होम में आयी़ उसने बताया कि इससे पहले भी वोट दिया है, लेकिन इस बार वोट देकर बहुत ही खुश है. मूक बधिर दीपक महतो भी वोटिंग करने पहुंचे, उन्हें वोट डालने की हर प्रक्रिया की जानकारी थी.

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