रांची: जन्म लेनेवाले बच्चों का निबंधन कराने के प्रति झारखंड के लोग जागरूक हो रहे हैं. सांख्यिकी निदेशालय के आंकड़ों को मानें, तो 2004 में जहां सिर्फ 28.05 बच्चों का निबंधन हुआ था, वर्ष 2009 में बढ़ कर यह 49.81 फीसदी पहुंच गया है. सांख्यिकी निदेशालय जन्म और मृत्यु का निबंधन कराने को लेकर राज्य भर में विशेष जागरूकता अभियान चला रहा है.
अभी भी झारखंड राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी पीछे है. असम, बिहार, उत्तरप्रदेश के साथ झारखंड में अब भी कुल जन्मे बच्चों में से आधे का ही पंजीकरण हो रहा है. देश में गुजरात, गोवा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मिजोरम, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, दादर एवं नागर हवेली, राजस्थान में जन्म लेने वाले बच्चों में से 90 प्रतिशत का निबंधन उनके माता-पिता करा रहे हैं.
देश में रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ एक्ट 1969 के तहत जन्मे बच्चे और मृत लोगों का निबंधन कराना अनिवार्य है. सांख्यिकी निदेशालय की ओर से सभी राज्यों में इसके लिए निबंधक और जिला स्तर पर जिला निबंधकों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. सरकार ने यूनिसेफ की मदद से जन्म लेनेवाले बच्चों का निबंधन कराने के लिए लोगों को जागरूक करने का विशेष अभियान चलाया है. इसमें सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका और सहायिका को जन्मे बच्चों की सूचना देने और उसकी जानकारी पंजी में दर्ज करने के निर्देश भी दिये गये हैं.