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झारखंड : सात से पिलाया जायेगा रोटावायरस का टीका, जानें क्या है रोटावाइरस

मुख्यमंत्री करेंगे अभियान की शुरुआत, दुनिया भर में अन्य बीमारियों की तुलना में डायरिया से अधिक बच्चों की मृत्यु रांची : राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को 10 जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए टीका दिया जाता है. इनमें गल घोंटू, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, टीबी, खसरा, हेपेटाइटिस बी, न्यूमोनिया, मेनिनजाइटिस और रोटावायरस […]

मुख्यमंत्री करेंगे अभियान की शुरुआत, दुनिया भर में अन्य बीमारियों की तुलना में डायरिया से अधिक बच्चों की मृत्यु
रांची : राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को 10 जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए टीका दिया जाता है. इनमें गल घोंटू, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, टीबी, खसरा, हेपेटाइटिस बी, न्यूमोनिया, मेनिनजाइटिस और रोटावायरस जैसी बीमारियां शामिल हैं.
राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने और उनकी मृत्यु को रोकने का प्रभावी उपाय है. बचपन में होने वाली डायरिया तथा इसके कारण शरीर में पानी की कमी, बच्चों की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है. यही वजह है कि झारखंड में भी शिशुओं को रोटा वायरस का टीका सात अप्रैल से पिलाने की शुरुआत की जायेगी. यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे ने सूचना भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में भारत सरकार ने बच्चों को रोटावायरस के कारण होनेवाले डायरिया से बचाने के लिए चरणबद्ध तरीके से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत रोटावायरस टीके की शुरुआत की थी.
अब तक रोटावायरस टीके की शुरुआत देश के नौ राज्यों हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और त्रिपुरा में सफलतापूर्वक हो चुकी है. झारखंड देश का 10वां राज्य है, जहां राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत रोटावायरस टीके की शुरुआत सात अप्रैल 2018 को की जायेगी. यह टीका सिरिंज के माध्यम से ओरल दी जायेगी.
यह पूरी तरह सुरक्षित है. यूनिसेफ की डॉ मधुलिका जोनाथन ने कहा कि दुनिया भर में संयुक्त रूप से एड्स, मलेरिया और खसरा की तुलना में डायरिया से अधिक बच्चों की मृत्यु होती है. वैश्विक रूप से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की डायरिया से होनेवाली मृत्यु का 10 प्रतिशत यानी लगभग 78,000 बच्चों की मृत्यु भारत में होती है. इनमें से पांच वर्ष से कम उम्र के 3000 बच्चों की मृत्यु झारखंड में होती है.
भारत में रोटावायरस डायरिया, हल्के से लेकर गंभीर डायरिया के 40 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है. कुपोषित बच्चे और वैसे बच्चे जिनके पास बेहतर स्वास्थ्य सुविधा का अभाव है, उनको डायरिया होने की संभावना ज्यादा रहती है. डायरिया, बच्चों में कुपोषण, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता और बीमारी के चक्र का निर्माण करता है. इसलिए डायरिया की रोकथाम जरूरी है.
रोटावाइरस क्या है?
रोटावायरस संक्रामक है और इसका प्रसार मल-मुख मार्ग से होता है. यह बच्चे द्वारा संक्रमित जल एवं भोजन के संपर्क में आने से होता है. रोटावायरस हाथों और सतहों पर काफी लंबे समय तक जीवित रह सकता है.
सभी बच्चों में रोटावायरस का खतरा रहता है, चाहे वे किसी भी सामाजिक–आर्थिक परिस्थिति के क्यों न हों. संक्रमण प्राय: काफी छोटे बच्चों में होता है. रोटावायरस संक्रमण के उपचार के लिए वर्तमान में कोई दवा उपलब्ध नहीं है. सामान्यतया इसका उपचार 14 दिनों तक ओआरएस और जिंक की गोली देकर की जाती है. स्वच्छता, साफ-सफाई और पेयजल के अलावा रोटावायरस डायरिया से प्रभावी बचाव रोटावायरस टीके के द्वारा किया जा सकता है.
रोटावाइरस टीके की खुराक एवं समय सारिणी
2.5 मिली के रोटावायरस टीके की खुराक एक सिरिंज के द्वारा मुंह में दी जायेगी. रोटावायरस टीके की तीन खुराकें बच्चों को दूसरे अन्य नियत टीकों के साथ 1.5 महीने, 2.5 महीने और 3.5 महीने के होने पर दिये जायेंगे.
यह टीका सभी सरकारी स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों-मेडिकल कॉलेजों, शहरी दवाखानों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, उपकेंद्रों, नियमित टीकाकरण सत्र के दौरान तथा ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस सत्र के दौरान नि:शुल्क दिया जायेगा. झारखंड में पहले चरण में 80 हजार बच्चों को टीका दिया जायेगा. फिर दूसरे चरण में 1.60 लाख और तीसरे चरण में 2.40 लाख बच्चों को दिया जायेगा.

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