रांची : खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि सदन का बाधित होना चिंता का विषय है. सदन बाधित होने से जनता के सवाल गौण हो जाते हैं. लोकतंत्र के तीन आधार स्तंभ हैं-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका. सभी के लिए सीमाएं निर्धारित की गयी हैं. अगर हम अपने दायरे में रह कर काम करेंगे, तो बाधाएं उत्पन्न नहीं होंगी. अगर हम संसदीय लोकतंत्र की मर्यादा के तहत आचरण नहीं करेंगे, तो समस्याएं उत्पन्न होंगी. हमें दूसरों के हित की भी बात करनी चाहिए.
श्री राय बुधवार को विधानसभा में विधायी शोध संदर्भ एवं प्रशिक्षण कोषांग की ओर से हमारी विधायिका विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
कार्यक्रम में रांची विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों और मैनेजमेंट के विद्यार्थी मौजूद थे. विद्यार्थी विधानसभा के विधायी कार्यों से रूबरू हुए. विधायी कार्यों के बारे में सवाल पूछा, जिसका उत्तर मंत्री सरयू राय, सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक राधा कृष्ण किशोर व विधानसभा के कर्मी मिथलेश व उदय भान ने दिया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्पीकर दिनेश उरांव ने की. स्पीकर की पहल पर पहली बार विधायी कार्यों के बारे में जानकारी देने के लिए इस प्रकार का कार्यक्रम आयोजित किया गया है. विधानसभा की कार्यवाही के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए मंत्री सरयू राय ने कहा कि विधानसभा के पहले सत्र में जनता के जुड़े सवालों पर विचार-विमर्श होता है. वहीं दूसरे सत्र में सरकारी काम-काज होते हैं. अगर प्रश्न सत्र चलता है, तो मंत्रियों की घिग्गी बंध जाती है. अगर पूरा सत्र सुचारु ढंग से चलता है, तो सरकार के सभी काम-काज का आकलन हो जाता है.
रिम्स की व्यवस्था पर मंत्री व विधायक दिखे असंतुष्ट : कार्यक्रम के दौरान एक छात्र ने रिम्स की अव्यवस्था पर सवाल किया.
इस पर मंत्री सरयू राय व विधायक राधाकृष्ण रिम्स की व्यवस्था से असंतुष्ट दिखे. श्री राय ने कहा कि शिक्षा व स्वास्थ्य की अच्छी व्यवस्था करना सरकार का दायित्व है. सरकार इस दायित्व पर खरा नहीं उतरी है. विधायक राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि सरकार की ओर से स्वास्थ्य सेवा को लेकर कई योजनाएं चलायी जा रही हैं. जहां तक रिम्स का सवाल है, तो मैं भी वर्तमान व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हूं. इसके सुधार को लेकर बहुत काम करने की जरूरत है.
विधानसभा सत्र नहीं चलना देश व राज्य के लिए चिंताजनक विषय है : राधाकृष्ण किशोर
सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि लोकसभा, विधानसभा व विधान पर्षद में चुने हुए प्रतिनिधि जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं. विधानसभा के सुचारु संचालन के लिए कार्य संचालन नियमावली बनायी गयी है. झारखंड में विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली में 319 अनुच्छेद हैं. जब तक इन जगहों पर अच्छे लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं होगा, तब तक भला नहीं हो सकता है. विधानसभा का सत्र नहीं चलना देश व राज्य के लिए चिंताजनक विषय है.
हमें हठधर्मिता छोड़ कर अपनी भावनाओं को तार्किक ढंग से रखना चाहिए. विधायी संस्थाओं में अच्छे लोगों का चुन जाना चाहिए. अगर चुनाव जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर उठ कर होगा, तो विधायी संस्था और मजबूत होगी. इसकी गरिमा बनी रहेगी. मैं इस बात का पक्षधर हूं कि एमपी और एमएलए बनने कि लिए न्यूनतम अर्हता होनी चाहिए. हमारा प्रयास होगा कि इस तरह की कार्यशाला यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में हो, ताकि लोग विधायी कार्यों को जान व समझ सकें.