कुपोषण से लड़ने के लिए तैयार होगा एक्शन प्लान, झारखंड के 47.8 फीसदी बच्चे कुपोषित

स्वास्थ्य एवं पोषण पर परामर्शदातृ समिति गठित होगी मुख्यमंत्री होंगे समिति के अध्यक्ष, प्रस्ताव तैयार रांची : झारखंड में कुपोषण को समाप्त करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनने जा रही है. यह कमेटी पोषण एवं स्वास्थ्य व्यवस्था पर सरकार को सुझाव देगी. सुझाव के अनुरूप ही नीतियां बनेंगी और सरकार उस पर काम करेगी. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 8, 2018 6:20 AM
स्वास्थ्य एवं पोषण पर परामर्शदातृ समिति गठित होगी
मुख्यमंत्री होंगे समिति के अध्यक्ष, प्रस्ताव तैयार
रांची : झारखंड में कुपोषण को समाप्त करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनने जा रही है. यह कमेटी पोषण एवं स्वास्थ्य व्यवस्था पर सरकार को सुझाव देगी. सुझाव के अनुरूप ही नीतियां बनेंगी और सरकार उस पर काम करेगी. स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके लिए मुख्यमंत्री स्वास्थ्य एवं पोषण परामर्शदातृ समिति गठित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री रघुवर दास होंगे. समिति में मुख्य सचिव, एम्स निदेशक, आइजीआइएमएस के निदेशक, संजय गांधी मेडिक कॉलेज के निदेशक, स्वास्थ्य सचिव, कल्याण सचिव, विकास आयुक्त भी सदस्य होंगे. समिति की बैठक वर्ष में दो बार होगी.हालांकि झारखंड में पोषण मिशन पहले से बना हुआ है. लेकिन यह समिति बेहतर करने का सुझाव देगी.
पांच जिलों में किया गया था अध्ययन, चिंताजनक हैं हालात
मालूम हो कि संस्थान ने राज्य के पांच जिलों में विशेष अध्ययन किया था. एक साल के अध्ययन के बाद चतरा, धनबाद, दुमका, गिरिडीह व कोडरमा की रिपोर्ट 28 सितंबर 2016 को जारी की गयी थी.
इसमें खुलासा हुआ कि अध्ययन वाले जिलों के 57.2 फीसदी बच्चे नाटे, 44.2 फीसदी कम वजन वाले तथा 16.2 फीसदी थके-हारे व कमजोर हैं. कोडरमा व दुमका जिले में एक से पांच वर्ष के 61-61 फीसदी बच्चे नाटे पाये गये. वहीं चतरा के 59.6 फीसदी बच्चे कम वजन के तथा गिरिडीह के 22.4 फीसदी बच्चे कमजोर मिले. किशोरी बालिकाअों व महिलाअों की स्थिति भी बदतर थी.
हर वर्ष 2.25 लाख कम वजन बच्चों का जन्म
झारखंड में हर वर्ष करीब आठ लाख बच्चे जन्म लेते हैं. इनमें से 29 हजार तो अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते. ये वैसे बच्चे हैं, जो कम वजन वाले व बेहद कमजोर होते हैं. दरअसल, राज्य में जन्म लेने वाले करीब आधे (चार लाख) बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं. यही वजह है कि पांच साल तक जिन बच्चों की मौत होती है, उनमें से 45 फीसदी मौत का कारण कुपोषण होता है.
झारखंड के 47.8 फीसदी बच्चे कुपोषित
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4(एनएफएचएस-4) 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में पांच वर्ष तक के 47.8 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं. राज्य पोषण मिशन के बेसलाइन सर्वे से पता चला है कि इनमें से करीब चार लाख बच्चे अतिकुपोषित हैं. देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद की रिपोर्ट से भी झारखंड में बच्चों व महिलाअों की स्वास्थ्य संबंधी दयनीय स्थिति की पुष्टि हो चुकी है.
जिला कुपोषित बच्चे
बोकारो 50.8
चतरा 51.3
देवघर 46.0
धनबाद 42.6
दुमका 53.5
गढ़वा 50.7
गिरिडीह 40.6
गोड्डा 46.0
गुमला 47.7
हजारीबाग 47.1
जामताड़ा 48.8
खूंटी 53.8
कोडरमा 42.2
लातेहार 44.2
लोहरदगा 48.1
पाकुड़ 46.9
पलामू 43.9
प. सिंहभूम 66.9
पूर्वी सिंहभूम 49.8
रामगढ़ 46.3
रांची 43.8
साहेबगंज 49.7
सिमडेगा 47.9
(आंकड़े प्रितशत में)

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