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झारखंड : जानें क्‍यों इस वर्ष 10 लाख सेट कम छपेगी किताब

रांची : शैक्षणिक सत्र 2018-19 में दस लाख सेट कम किताब की छपाई की जायेगी. शैक्षणिक सत्र 2017-18 में 45 लाख बच्चों के लिए नयी किताब की छपाई गयी थी. अगले शैक्षणिक सत्र के लिए मध्याह्न भोजन खानेवाले बच्चों की संख्या के आधार पर किताब छपाने का निर्णय लिया गया है. वर्तमान में राज्य में […]

रांची : शैक्षणिक सत्र 2018-19 में दस लाख सेट कम किताब की छपाई की जायेगी. शैक्षणिक सत्र 2017-18 में 45 लाख बच्चों के लिए नयी किताब की छपाई गयी थी. अगले शैक्षणिक सत्र के लिए मध्याह्न भोजन खानेवाले बच्चों की संख्या के आधार पर किताब छपाने का निर्णय लिया गया है. वर्तमान में राज्य में अौसतन प्रतिदिन लगभग 35 लाख बच्चे मध्याह्न भोजन खाते हैं.
ऐसे में गत वर्ष की तुलना में लगभग दस लाख सेट कम किताब की छपाई होगी. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के सचिव ने राज्य भर के स्कूलों में पुरानी पुस्तकों का बैंक बनाने को कहा है. परीक्षा के बाद बच्चों से पुरानी पुस्तक ले ली जायेगी.
इन पुस्तकों को नये सत्र में आवश्यकता के अनुरूप बच्चों को दी जायेगी. मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या के आधार पर किताब छपाई से लगभग दस करोड़ की बचत होगी. राज्य में सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को नि:शुल्क किताब दी जाती है. किताब छपाई पर आनेवाले खर्च की 60 फीसदी राशि भारत सरकार देती है, जबकि 40 फीसदी राशि राज्य सरकार देती है.
शैक्षणिक सत्र 2018-19 में किताब छपाई के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो गयी है. प्रकाशकों को वर्क ऑर्डर जारी किया जा रहा है.
घटते-बढ़ते रही है बच्चों की संख्या : राज्य में किताब वितरण को लेकर बच्चों की संख्या घटती-बढ़ती रही है. शैक्षणिक सत्र 2014-15 से 2017-18 तक प्रति वर्ष लगभग 45 लाख बच्चों के लिए किताब की छपाई की गयी.
इस दौरान किताब छपाई पर होनेवाला खर्च 80 से 85 करोड़ के बीच रहा है. पूर्व में बच्चों की संख्या में एक से दूसरे वर्ष के बीच लगभग 20 लाख तक का बदलाव आया है. राज्य में वर्ष 2005-06 से नि:शुल्क किताब दी जा रही है. वर्ष 2005-06 में किताब के लिए 32 करोड़ खर्च हुए थे, जो वर्ष 2013-14 में बढ़ कर 99 करोड़ हो गये. इन नौ वर्षों में किताब छपाई के खर्च में 67 करोड़ की बढ़ोतरी हुई. वर्ष 2014-15 के बाद किताब छपाई का खर्च कम हो गया. वर्ष 2014-15 से 2017-18 तक 45 लाख बच्चों के लिए किताब छपाई गयी.
33 लाख को मिड डे मील, 64 लाख को किताब : वर्ष 2009-10 में कुल 64,26,504 सेट किताब छपाई गयी थी, जबकि मध्याह्न भोजन खानेवाले बच्चों की संख्या 33,48,645 थी. वर्ष 2011-12 में 45 लाख बच्चों के लिए किताब छपाई गयी थी, जिसमें 45 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. वर्ष 2012-13 में 45 लाख बच्चों के लिए किताब छपाई में 75 करोड़ रुपये खर्च हुए. वर्ष 2013-14 में 55 लाख बच्चों की किताब के लिए टेंडर निकाला गया.
वर्ष बच्चे खर्च
2005-06 —– 32.00 करोड़
2006-07 —– 34.88 करोड़
2007-08 41,16,712 51.79 करोड़
2008-09 51,93088 52.43 करोड़
2009-10 64,26504 72.71 करोड़
2010-11 44,98547 48.91 करोड़
2011-12 45,0000 45.58 करोड़
2012-13 45,0000 75.99 करोड़
2013-14 55,0000 99.00 करोड़
(नोट : वर्ष 2014-15 से 2017-18 तक प्रति वर्ष लगभग 45 लाख बच्चों के लिए किताब छपाई गयी, इस पर प्रति वर्ष 80 से 85 करोड़ का खर्च आया.)
शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए स्कूलों में मध्याह्न भोजन खानेवाले बच्चों की संख्या के आधार पर किताब की छपाई की जायेगी. सभी जिला शिक्षा अधीक्षक को स्कूलों में परीक्षा के बाद बच्चों से किताब जमा लेने को कहा गया है. स्कूलों में पुरानी किताब का बैंक बनाया जायेगा. बच्चों को आवश्यकता अनुरूप इसमें से भी किताब उपलब्ध करायी जायेगी. इस कारण इस वर्ष पहले की तुलना में कम किताब की छपाई होगी.
एपी सिंह, प्रधान सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग
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