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झारखंड : शहीद बेटे को अंतिम विदाई देते हुए रो पड़ा पूरा इडरी गांव, इस्राइल से लाया गया पार्थिव शरीर

इस्राइल से लाया गया शहीद जॉनसन बेक का पार्थिव शरीर बेड़ो प्रखंड के इडरी गांव में मातम पसरा हुआ है. यहां के हर शख्स की आंखों में आंसू हैं. कई घरों में चूल्हे भी नहीं जले हैं. हो भी क्यों नहीं, गांव का बेटा और सेना का जवान जॉनसन बेक जो शहीद हुआ है. बुधवार […]

इस्राइल से लाया गया शहीद जॉनसन बेक का पार्थिव शरीर
बेड़ो प्रखंड के इडरी गांव में मातम पसरा हुआ है. यहां के हर शख्स की आंखों में आंसू हैं. कई घरों में चूल्हे भी नहीं जले हैं. हो भी क्यों नहीं, गांव का बेटा और सेना का जवान जॉनसन बेक जो शहीद हुआ है.
बुधवार को गांव के कब्रिस्तान में पूरे विधि विधान और सैन्य सम्मान के साथ शहीद के पार्थिव शरीर को दफनाया गया. शहीद का का पार्थिव शरीर बुधवार को ही एयर इंडिया के विमान से रांची लाया गया. जॉनसन सेना की यूनिट-33 मीडिया रेजिमेंट फरीदकोट पंजाब के जवान थे और फिलहाल, भारत की ओर से शांति सेना में इस्राइल में तैनात थे. 18 फरवरी को वहां हुई दुर्घटना में उनकी माैत हो गयी थी.
रांची : राजधानी के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर शहीद जॉनसन बेक का शव लेने के लिए उनके पिता मसीह दास बेक (75 वर्षीय), बेड़ो प्रखंड के ग्राम प्रधान फिरमोन बेक और पैतृक गांव इडरी से बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे हुए थे.
शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही टर्मिनल बिल्डिंग से बाहर लाया गया, पिता फूट-फूट कर रोने लगे. आसपास खड़े परिजनों ने उन्हें संभाला. यहां सेना के जवानों ने शहीद का पार्थिव शरीर तिरंगे में लपेटा. इसके बाद दोपहर डेढ़ बजे सेना के वाहन से जवान का पार्थिव शरीर बेड़ो के लिए रवाना हुआ.
सम्मान के साथ दफनाया गया शहीद का शव
सेना के जवान किशन कुमार के नेतृत्व में शहीद जॉनसन बेक का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव इडरी लाया गया. यहां इडरी कब्रिस्तान में सम्मान के साथ शहीद के शव को दफनाया गया. इससे पहले कैप्टन संजीत कुमार पांडेय की नेतृत्व में 237 ताेपखाना के जवानों ने शहीद को सलामी दी.
दो साल पहले ही हुई थी शादी
जॉनसन बेक की उम्र 26 वर्ष थी. वे तीन भाइयों में सबसे छोटे थे. बड़े भाई अनिल बेक और मंझला भाई जवाकिम बेक है. मंझला भाई दिव्यांग हैं. इन सभी लोगों के पालन पोषण का जिम्मा जॉनसन बेक पर ही था.
जॉनसन बेक ने इंटर की पढ़ाई योगदा सत्संग कॉलेज रांची से की थी. इसके बाद चार साल पूर्व आर्मी में जीडी के पद पर बहाल हुए थे. दो साल पूर्व इनकी शादी कुरकुरिया लापुंग निवासी किशोरी केरकेट्टा से हुई थी. इनकी एक 11 माह की बेटी एंजेल दिव्या बेक है.
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
बेटे की मौत से मां सलोनी बेक (70 वर्षीय) और पिता मसीह दास बेक पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. वहीं, पत्नी किशोरी केरकेट्टा बार-बार बेहोश हो जा रही थीं.
उन्हें स्थानीय महिलाएं संभाल रही थीं, लेकिन पत्नी कि चीत्कार सुन वे भी राेने लग रही थीं. इधर, शहीद के अंतिम संस्कार में भाग लेने पहुंची मांडर की विधायक गंगोत्री कुजूर ने पत्रकारों से कहा कि वे मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलकर एक सैनिक को मिलने वाली सारी सुविधाएं दिलाने का प्रयास करेंगी.

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