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झारखंड : जन भावना समझें, नहीं तो पत्थलगड़ी से दूसरी तरह का नक्सलवाद आयेगा : डॉ अरुण उरांव

गांवों में बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंचने से लोग नाराज, सरकार राजनीति न करे रांची : कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और छत्तीसगढ़ के प्रभारी डॉ अरुण उरांव ने कहा कि सरकार को राज्य के कई जिलों में हो रही पत्थलगड़ी के पीछे लोगों की भावना समझनी होगी. इसके लिए सरकार को आगे आना होगा, लोगों को […]

गांवों में बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंचने से लोग नाराज, सरकार राजनीति न करे
रांची : कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और छत्तीसगढ़ के प्रभारी डॉ अरुण उरांव ने कहा कि सरकार को राज्य के कई जिलों में हो रही पत्थलगड़ी के पीछे लोगों की भावना समझनी होगी. इसके लिए सरकार को आगे आना होगा, लोगों को समझाना होगा़
अन्यथा पत्थलगड़ी से एक दूसरी तरह के नक्सलवाद का उदय होगा. श्री उरांव मंगलवार को कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि दरअसल गांवों में बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंचने के कारण ही लोग नाराज है़ं लोगों को पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य, बिजली और शिक्षा जैसी सुविधाएं नहीं मिल रही है.
इस नाराजगी को दूर करने की सबसे पहली जिम्मेवारी सरकार की है. सरकार को उन गांवों तक सुविधाएं पहुंचानी होगी. लोगों को समझाने में हम भी सरकार का साथ देंगे. ग्रामीणों की आखिर ऐसी क्या दिक्कत है कि वे सब कुछ अपने हाथों में लेना चाहते हैं. उनका सरकार पर विश्वास खत्म हो गया है. सरकार दिखावा करती है कि ग्रामीणों की सहमति से ही योजनाएं बन रही हैं.
सरकार यदि ग्रामीणों की सहमति से योजनाएं बनाती, तो ऐसा विरोध क्यों होता. सरकार इस पर राजनीति न करे, अपनी नाकामी का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ने का प्रयास नहीं करे. दबे-कुचले लोग आवाज नहीं उठायेंगे, तो आखिर क्या करेंगे. संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस नेता राजीव रंजन प्रसाद, शमशेर आलम और लाल किशोर नाथ शाहदेव व राजीव रंजन प्रसाद उपस्थित थे़
अफीम की खेती हो रही है, तो कार्रवाई से किसने रोका : अफीम की खेती को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में श्री उरांव ने कहा कि यदि अफीम की खेती हो रही है, तो सरकार को कार्रवाई करने से किसने रोका है.
अब तो ड्रोन और सेटेलाइट है, तो फिर बड़े पैमाने पर यदि अफीम की खेती हो रही है, तो प्रशासन कहां है़ कोई बाहरी आकर ये सब कर रहा है, तो फिर उसे क्यों नहीं पकड़ा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि वह जब पुलिस अधिकारी थे, तो खूंटी में 1500 एकड़ में अफीम की खेती नष्ट की गयी थी. उसके बाद अभी तक 1000 हजार एकड़ में खेती नष्ट की गयी है. इसलिए ग्रामीणों और ग्राम प्रधानों पर सारा दोष मढ़ देना उचित नहीं है. सरकार को निष्पक्ष तरीके से कार्रवाई करनी चाहिए़
असंवैधानिक नहीं है पत्थलगड़ी
डॉ उरांव ने कहा कि पत्थर पर जानकारियां लिखे जाने का इतिहास है. इसलिए यह असंवैधानिक नहीं है़ मुंडा व संथाल बहुल इलाकों में पत्थलगड़ी होती रही है़ इससे गांवों का सीमांकन किया जाता है़
1996 में पेसा कानून लागू होने के बाद खूंटी के कर्रा में स्वर्गीय बीडी शर्मा, बंदी उरांव सहित स्थानीय नेताओं ने पत्थलगड़ी की थी और उसके माध्यम से पेसा कानून के बारे में लिखा गया था़

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