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सरकार ने लिया समय, 21 फरवरी को होगी सुनवाई
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को फर्जी नक्सली सरेंडर मामले की सीबीआइ से जांच कराने काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के आग्रह को स्वीकार कर लिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को फर्जी नक्सली सरेंडर मामले की सीबीआइ से जांच कराने काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के आग्रह को स्वीकार कर लिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तिथि निर्धारित की गयी. इससे पूर्व राज्य सरकार के गृह विभाग की अोर से खंडपीठ को बताया गया मामले से संबंधित केंद्र सरकार से दस्तावेज प्राप्त हो चुका है. दस्तावेज सीएम अॉफिस को दिया गया है.
इसके बाद कोर्ट में दाखिल किया जायेगा. पिछली सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार की अोर से बताया गया था कि मिनिस्ट्री अॉफ होम अफेयर्स, सीआरपीएफ व झारखंड पुलिस मिल- जुल कर नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चलाती है. सीक्रेट अॉपरेशन चलाये जाते हैं. नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए सरेंडर पॉलिसी लागू है. इसके तहत नक्सलियों को सरेंडर कराया जाता है. 10 नक्सलियों को सरेंडर कराया गया. इसमें कहीं कोई गैरकानूनी नहीं है. 514 नक्सलियों के सरेंडर की जानकारी सरकार को नहीं है.
राज्य के पुलिस विभाग का उससे कुछ लेना-देना नहीं है. जांच के दाैरान 130 लोगों का बयान दर्ज किया गया है. दिग्दर्शन इंस्टीट्यूट ने गलत किया है. जांच में साबित भी हो चुका है. इस मामले में दो चार्जशीट दायर की गयी है. ट्रायल भी चल रहा है. मामले की दोबारा जांच की जरूरत नहीं है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड काउंसिल फॉर डेमोक्रेटिक की अोर से जनहित याचिका दायर की गयी है. याचिका में 514 फर्जी नक्सलियों के सरेंडर मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की गयी है.
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