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ट्राइबल सब प्लान के “16,170 करोड़ दूसरे मद में खर्च करेगी राज्य सरकार

मांग. महाराष्ट्र व तेलंगाना की तर्ज पर बने टीएसपी-एससीपी एक्ट : एनसीडीएचआर रांची : झारखंड सरकार ने 2018-2019 के बजट में ट्राइबल सब प्लान के लगभग 16,170 करोड़ रुपये को दूसरे मदों में खर्च करने का प्रावधान किया है़ यह पैसा सामान्य प्रकृति की योजनाएं जैसे वृहद सड़कों का चौड़ीकरण, सरकारी भवनों का निर्माण, बड़े […]

मांग. महाराष्ट्र व तेलंगाना की तर्ज पर बने टीएसपी-एससीपी एक्ट : एनसीडीएचआर
रांची : झारखंड सरकार ने 2018-2019 के बजट में ट्राइबल सब प्लान के लगभग 16,170 करोड़ रुपये को दूसरे मदों में खर्च करने का प्रावधान किया है़
यह पैसा सामान्य प्रकृति की योजनाएं जैसे वृहद सड़कों का चौड़ीकरण, सरकारी भवनों का निर्माण, बड़े बांधों का निर्माण, हेलीपैड व हवाई अड्डे के निर्माण, ग्रेटर रांची डेवलपमेंट एजेंसी, औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड आदि के लिए आवंटित की गयी है़ डीवीसी व जरेडा को भी अनुदान दिया गया है.
यह जानकारी नेशनल कैंपेन ऑन दलित ह्यूमन राइट्स (एनसीडीएचआर)के प्रदेश संयोजक सुनील मिंज, दलित आदिवासी अधिकार आंदोलन के मिथिलेश कुमार, सुप्रीम कोर्ट कमिश्नर के पूर्व राज्य सलाहकार बलराम, यूनाइटेड मिल्ली फोरम झारखंड के महासचिव अफजल अनीस व राइट टू फूड कैंपेन के धीरज कुमार ने भोजन का अधिकार अभियान के अशोक नगर स्थित कार्यालय में दी. उन्होंने कहा कि झारखंड में भी महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश की तर्ज पर टीएसपी व एससीपी कानून बनना चाहिए़ डायवर्स के मामले को लोगों के बीच ले जायेंगे़
इन विभागों को गये पैसे : कल्याण विभाग- 51 करोड़, जल संसाधन विभाग 717 करोड़, पेय जल एवं स्वच्छता विभाग 916 करोड़, नगर विकास एवं आवास विभाग-137 करोड़, परिवहन विभाग- 91 करोड़, पर्यटन कला एवं संस्कृति विभाग- 712, महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा 490 करोड़, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग-138 करोड़, ग्रामीण विकास विभाग-3994 करोड़, पथ निर्माण विभाग 3294 करोड़, राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग- 48 करोड़, योजना सह वित्त विभाग- 52 करोड़, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग- 32 करोड़, सूचना प्रौद्योगिकी एवं ईगर्वेनेंस- 10 करोड़, सूचना एवं जन संपर्क विभाग- 60 करोड़, उद्योग खान एवं भू-तत्व विभाग -172 करोड़, गृह- कारा एवं आपदा प्रबंधन- 36 करोड़, उच्च तकनीकी एवं कौशल विभाग-1123 करोड़, स्वास्थ्य शिक्षा चिकित्सा एवं परिवार कल्याण- 473 करोड़, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन -188 करोड़, खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले – 456 करोड़, उत्पाद एवं मद्य निषेध – 5 करोड़, ऊर्जा विभाग-595 करोड़, कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग -1745 करोड़, भवन निर्माण विभाग -635 करोड़. इस तरह कई विभागों में आदिवासी उपयोजना के पैसों का विचलन किया गया है.
चारों धाम को जोड़नेवाली सड़क व भीम एप के लिए भी टीएसपी का पैसा
सुनील मिंज ने बताया कि 2018- 2019 के केंद्रीय बजट में भी टीएसपी की राशि का डायवर्सन हुआ है़ रांची-विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) उच्च पथ, चारों धाम को जोड़ने वाले पथ निर्माण व नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पथ निर्माण के लिए 2700 करोड़, भीम एप के लिए 33 हजार करोड़ का प्रावधान किय गया है़ पीएमएस छात्रवृत्ति के लिए सिर्फ 1500 करोड़ रुपये दिये गये, जबकि जरूरत तीन हजार करोड़ की है़
अनुसूचित जनजाति के लिए मात्र 39 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया, जबकि यह 71 हजार करोड़ होना था़ चाय बगान के आदिवासियों के लिए सिर्फ दो करोड़ रुपये दिये गये, जबकि वहां झारखंडी मूल के आदिवासियों की संख्या 80 लाख है़ वनबंधु योजना की राशि घटा दी गयी, वहीं आंध्रप्रदेश व तेलंगाना आदिवासी विवि के लिए मात्र एक करोड़ रुपये दिये गये़

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