रांची/जयपुर : ‘ऑनलाइन उत्पीड़न करने वाले और मेरे पुतले जलाने वाले लोग मुझे और लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.’ यह कहना है झारखंड के विवादास्पद लेखक हंसदा सोवेंद्र शेखर का.अपनी दूसरी किताब ‘द आदिवासी विल नॉट डांस’ के कारण सोवेंद्रशेखर विवादोंमें घिर गये. साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित 34 वर्षीय लेखक को लगभग डेढ़ वर्ष से आदिवासी समुदाय के सदस्यों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
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आदिवासी समुदाय के लोगों का मानना है कि उनकी किताब में हांसदा सोवेंद्र शेखर ने संथाल के लोगों की, खासकर महिलाओं की छवि को खराब ढंग से पेश किया है. बढ़ते विरोध के कारण ही पिछले वर्ष अगस्त में झारखंड सरकार ने किताब पर पाबंदी लगा दी थी. रांची से करीब 400 किमी दूर जिला स्वास्थ्य केंद्र में तैनात चिकित्सा अधिकारी डॉ हांसदा को निलंबित भी कर दिया गया. इतना ही नहीं, उनकी गतिविधियों को लेकर सवाल उनसे सवाल भी पूछे गये.
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जयपुर साहित्य महोत्सव में शेखर ने कहा, ‘यह शर्मनाक है. महिलाओं का उत्पीड़न करने के आरोपी यह दिखा रहे हैं कि वह महिलाओं का सम्मान करते हैं. मुझे बताया गया कि मेरी किताब के कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा होगयी है. किसी किताब की वजह से ऐसे हालात कैसे बन सकते हैं.’ लेखक की पहली किताब ‘द मिस्टीरियस एलमेंट ऑफ रूपा बास्की’ वर्ष 2015 में आयी थी. तब भीइसपुस्तक पर भी विवाद खड़ा हो गया था.
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लेखक ने कहा, ‘उन लोगों ने मेरे पुतले जलाये. सोशल मीडिया पर उन्होंने मेरे खिलाफ जो अभियान छेड़ा, उससे उनका चरित्र नजर आता है. मुझे धमकाने वाले ज्यादातर लोग कागजी शेर हैं. ये लोग मुझे और लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. विरोध मुझे और लिखने को प्रेरित करता है.’