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आदि महोत्सव : शिल्प, कला, व्यंजन व वाणिज्य का समागम

आदि महोत्सव l 25 तरह के आदिवासी व्यंजनों का ले सकते हैं जायका, 28 जनवरी तक चलेगा रांची : आदिवासी शिल्प, कला, व्यंजन व वाणिज्य का अद्भुत समागम शुक्रवार से आड्रे हाउस परिसर में प्रारंभ हुआ. आदिवासी प्रकरण मंत्रालय, भारत सरकार व ट्राइफेड के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस समागम को आदि महोत्सव का नाम […]

आदि महोत्सव l 25 तरह के आदिवासी व्यंजनों का ले सकते हैं जायका, 28 जनवरी तक चलेगा
रांची : आदिवासी शिल्प, कला, व्यंजन व वाणिज्य का अद्भुत समागम शुक्रवार से आड्रे हाउस परिसर में प्रारंभ हुआ. आदिवासी प्रकरण मंत्रालय, भारत सरकार व ट्राइफेड के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस समागम को आदि महोत्सव का नाम दिया गया है. यह महोत्सव 28 जनवरी तक चलेगा. जहां विभिन्न राज्यों से आये आदिवासी कलाकारों और शिल्पकारों के उत्पादों व व्यंजनों को देखा जा सकता है. उसका लुत्फ उठाया जा सकता है.महोत्सव का उद्घाटन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया. जनजातीय मामलों के राज्यमंत्री सुदर्शन भगत, कल्याण मंत्री झारखंड सरकार डॉ लुइस मरांडी, पद्मश्री अशोक भगत, ट्राइफेड के एमडी प्रवीण कृष्णा सहित अन्य उपस्थित थे. उद्घाटन कार्यक्रम के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये.
हुनर को बाजार दिलाने की जरूरत : ट्राइफेड के एमडी प्रवीण कृष्णा ने कहा कि आदि महोत्सव एक तरह से मिनी इंडिया है. हमारा प्रयास है कि आदिवासियों की कला को कॉमर्स से जोड़ा जाये. कहा कि राज्य में मौजूद आदिम कला को बाजार मिले ताकि इससे जुड़े लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सके. पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि कभी आदिवासी प्रदर्शनी भर हुआ करते थे, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों और कार्यक्रमों ने उन्हें पहचान दिलायी है.
अब उस पहचान को बाजार उपलब्ध कराना होगा. इसी से आदिवासियों का कल्याण सुनिश्चित होगा. कल्याण मंत्री डॉ लुइस मरांडी ने कहा कि आदिवासियों के हाथ में हुनर है. उनके हुनर को पहचान देकर बाजार उपलब्ध कराना है. केंद्रीय राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने भी आदिवासी कारीगरों को बाजार से जोड़ने की बात कही.
10 दिनों तक चलेगा महाेत्सव : 10 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में लगे 75 स्टॉल देश के 25 राज्यों की आदिवासी परंपरा, संस्कृति, व्यंजन, शिल्प और वाणिज्य की जानकारी दे रहे हैं. रांची के आड्रे हाउस परिसर में पहली बार इस तरह का कोई कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है. महोत्सव में 100 आदिवासी कलाकार-शिल्पकार हिस्सा ले रहे हैं.
पर्यटन स्थलों में बाजार हाट की व्यवस्था करेगी राज्य सरकार : रघुवर दास
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि आदिवासी कला के विकास एवं उनके द्वारा तैयार किये गये उत्पाद को देश-विदेश में बाजार उपलब्ध कराने हेतु राज्य सरकार प्रयासरत है ताकि उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिले और उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके. उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासी समुदाय की आय में वृद्धि हेतु प्रयास कर रही है. कहा कि राज्य के पर्यटन स्थलों में देश-विदेश से काफी लोग आते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार पर्यटन स्थलों में बाजार हाट की व्यवस्था करेगी जहां आदिवासी कला, एवं उनके द्वारा तैयार उत्पादों को एक बाजार मिलेगा.
उन्होंने कहा कि देश-विदेश से लोग हमारे राज्य में आकर आदिवासी समुदाय की कला,संस्कृति एवं उनकी जीवन शैली पर रिसर्च करें इसे ध्यान में रखते हुये हमारी सरकार इस बजट में शोध संस्थान पर राशि खर्च करने पर फोकस करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार झार मधु के नाम से उत्पाद तैयार कर रही है. इस हेतु 600 किसानों को मास्टर ट्रेनर के रूप में तैयार किया जा रहा है. हर जिले में प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जायेगा. खासकर रांची में एक बड़ा प्लांट लगाया जायेगा. इसी तरह लाह एवं हस्तशिल्प के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
झारखंड के 20 स्टॉल हैं
इस महोत्सव में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, पूर्वोत्तर के सभी राज्य, चंडीगढ़ आदि के आदिवासी हस्तशिल्पी हिस्सा ले रहे हैं. इस दौरान वे अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. उनकी कृतियां भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. इस महोत्सव में झारखंड के 20 स्टॉल लगाये गये हैं.

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