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झारखंड विधानसभा : बजट सत्र कल से, पक्ष-विपक्ष तैयार

स्पीकर ने की सर्वदलीय बैठक, सदन चलाने में मांगा सहयोग रांची : झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 17 जनवरी से शुरू होगा. 15 कार्य दिवस निर्धारित किये गये हैं. 23 जनवरी को सरकार वर्ष 2018-19 का बजट पेश करेगी. पहले दिन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू सदन को संबोधित करेंगी. राज्यपाल के अभिभाषण पर दो दिन चर्चा […]

स्पीकर ने की सर्वदलीय बैठक, सदन चलाने में मांगा सहयोग
रांची : झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 17 जनवरी से शुरू होगा. 15 कार्य दिवस निर्धारित किये गये हैं. 23 जनवरी को सरकार वर्ष 2018-19 का बजट पेश करेगी. पहले दिन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू सदन को संबोधित करेंगी. राज्यपाल के अभिभाषण पर दो दिन चर्चा होगी और सरकार का जवाब आयेगा.
19 जनवरी को सरकार चालू वित्तीय वर्ष के लिए तृतीय अनुपूरक बजट पेश करेगी. 20 जनवरी को तृतीय अनुपूरक बजट पर वाद-विवाद और सरकार का उत्तर होगा. 15 दिनों के बजट सत्र में दो दिन मुख्यमंत्री प्रश्नकाल होंगे, जिसमें विधायक मुख्यमंत्री से सीधे नीतिगत सवाल करेंगे. बजट सत्र को लेकर सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने सर्वदलीय बैठक की. बैठक में मुख्यमंत्री रघुवर दास, संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय, नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम उपस्थित थे. बैठक में सत्र के सफल संचालन को लेकर चर्चा हुई.
कड़े कदम उठाने की जरूरत : सरयू : संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने कहा कि सत्र के दौरान व्यवधान को समाप्त करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे. कहा कि वर्ष 2017 में एक दिन भी सही तरीके से सदन नहीं चला. आठ और नौ जनवरी को उदयपुर में हुई अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन में विधानसभा में हंगामे को लेकर चर्चा हुई थी.
सर्वसम्मति से पारित हुआ था कि हर हाल में प्रश्नकाल को चलने देना चाहिए. प्रश्नकाल में व्यवधान करनेवाले सदस्यों पर कार्रवाई होनी चाहिए. कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में यह प्रावधान है कि जो भी सदस्य वेल में आयेंगे उनका वेतन काट लिया जायेगा. झारखंड विधानसभा में भी ऐसा ही कुछ प्रावधान होना चाहिए. सदन में व्यवधान नहीं हो इसके लिए कड़े कदम उठाने होंगे. इस विषय पर स्पीकर और मुख्यमंत्री से बात करेंगे. कहा कि मंगलवार को सभा वेशम में बढ़ती अव्यवस्था और इसके निदान विषय पर सेमिनार रखा गया है. इस विषय को उसमें भी रखा जायेगा.
असीम स्वतंत्रता किसी को नहीं है : सरयू राय ने कहा कि सरकार हो या विपक्ष, सदन में असीम स्वतंत्रता किसी को नहीं है. सदन चलने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सरकार की है, लेकिन विपक्ष का सहयोग भी उतना ही जरूरी है. सदन में हंगामा समस्या का निदान नहीं है. सदन जनता की समस्या को उठाने का मंच है. हंगामे के कारण जनता की आवाज दब जा रही है.
इससे जनता को नुकसान हो रहा है. सत्र संचालन में करोड़ों रुपये जनता का खर्च हो जाता है. जनता को कुछ नहीं मिलता. हंगामे के कारण अधिकारियों को भी मौका मिल जाता है. सदन चलता है तो पंचायत से लेकर राज्य मुख्यालय तक अधिकारी सचेत रहते हैं. जब सदन में सवाल ही नहीं आते हैं, तो अधिकारी भी ज्यादा ध्यान नहीं देता है.
30 जनवरी के बाद नहीं लिया जायेगा विधेयक : सरयू राय ने कहा कि सदस्यों की यह शिकायत रहती थी कि विधेयक समय पर नहीं आता है, लिहाजा संशोधन नहीं दे पाते हैं. कहा कि इस बार यह तय हुआ है कि जिस विभाग का विधेयक होगा, वह 30 जनवरी तक विधानसभा सचिवालय में जमा कर देंगे. 30 जनवरी के बाद सभा सचिवालय विधेयक नहीं लेगा. उन्होंने कहा कि प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण विभाग को शत प्रतिशत ऑनलाइन कर दिया गया है.
सभी सवालों का ऑनलाइन जवाब मिलेगा. उन्होंने कहा कि अभी तक 2400 आश्वासन लंबित हैं. मात्र 500 आश्वासन का निबटारा हुआ है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों की बैठक में उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है कि सदस्यों के सवाल का सिर्फ लिखित जवाब देने से काम नहीं चलेगा. जो भी सवाल सदस्यों के द्वारा पूछे जाते हैं उसके पूरक को ध्यान में रखकर जवाब तैयार किया जाये. ऐसा करने से आश्वासन का बोझ नहीं बढ़ेगा.
मुख्य सचिव और डीजीपी मामले को उचित मंच पर रखे विपक्ष : विपक्ष द्वारा मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और डीजीपी डीके पांडे मामले पर सदन नहीं चलने देने के जवाब में श्री राय ने कहा कि विपक्ष इस मामले को उचित मंच पर रखे. विधानसभा में भी नियमतः इन मामले को रखकर चर्चा करायी जा सकती है. यह कहना कि सदन नहीं चलने देंगे, कहीं से उचित नहीं है. कहा कि विपक्ष बताये कि कभी इस मामले पर वे मुख्यमंत्री से मिले.
बातें सिर्फ अखबारों के माध्यम से हो रही हैं. विपक्ष उचित जगह पर इन बातों को उठाता, तो बात बनती. कहा कि सभी चीजें विधानसभा में होगी, तो समाधान नहीं हो सकता. मुख्य सचिव का मामला नया तो नहीं है. नेता प्रतिपक्ष जब मुख्यमंत्री थे तब भी यह मामला था, क्यों नहीं कार्रवाई की थी. अभी तो मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण पूछा है. 15 दिनों में जवाब मांगा है. पिछली सरकार ने तो यह भी नहीं किया.
सदन चलाना है तो मुद्दों पर संज्ञान ले सरकार : आलमगीर आलम ने कहा कि सदन में सरकार को मुद्दों से घेरा जायेगा. विपक्ष के पास कई मुद्दे हैं. अगर इन इन मुद्दों पर सरकार ने संज्ञान नहीं लिया तोसदन नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि सत्ता शीर्ष पर बैठे सीएस और डीजीपी पर कई गंभीर आरोप लगे हैं.
इन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. अगर ये इस्तीफा नहीं देते हैं, तो सरकार को इन्हें पद से हटा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि समेत गिलोटिन में जाने वाले विभागों पर भी विस्तार से चर्चा होनी चाहिए. इस पर 17 जनवरी को होने वाली कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में चर्चा की जायेगी. उन्होंने कहा कि मनरेगा में मजदूरों को पैसा नहीं मिल रहा है. इनका पलायन हो रहा है. बीपीएल कार्डधारियों को चीनी नहीं मिल रही है. इन मुद्दों को भी सदन में जोरदार तरीके से रखा जायेगा.
रांची. विधानसभा में बजट सत्र की तैयारी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव की ओर से बुलायी गयी बैठक में मुख्य सचिव सोमवार को नहीं पहुंचीं. हालांकि डीजीपी, गृह सचिव समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे. बैठक के पहले और बाद में बकोरिया कांड पर मीडिया की ओर से पूछे गये सवाल न तो गृह सचिव और न ही डीजीपी ने जवाब दिया. बैठक में स्पीकर ने अधिकारियों को सुरक्षा, बिजली और पानी को लेकर कई दिशा निर्देश दिये.
हंगामा करनेवाले विधायकों को सामने लाये मीडिया : सीएम
आलमगीर आलम ने विभागीय बजट के गिलोटिन का मामला उठाया. कहा कि मात्र छह दिन विभागों की अनुदान मांग पर चर्चा होगी. इसमें यह तय होना चाहिए कि सभी महत्वपूर्ण विभागों की अनुदान मांग पर चर्चा हो.
स्पीकर ने कहा कि इस विषय पर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में निर्णय लिया जायेगा. बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में हंगामा करनेवाले विधायकों को मीडिया सामने लाये. वहीं नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है. सरकार सदन में सवालों का जवाब देगी तो ठीक है, नहीं तो सदन नहीं चलने दिया जायेगा. संसदीय कार्य मंत्री ने साफ कहा कि समय आ गया है कि सदन में व्यवधान उत्पन्न करनेवाले सदस्यों पर कार्रवाई हो.
सरकार को बर्खास्त करें राज्यपाल : हेमंत
बैठक के दौरान नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार के रवैये पर निर्भर है कि सदन चलेगा कि नहीं. विपक्ष लगातार सरकार से सवाल कर रहा है, लेकिन सरकार जवाब देने से भाग रही है. विपक्ष की मंशा सदन को बाधित करने की नहीं है. विपक्ष सिर्फ सवालों का जवाब चाहता है. मुख्य सचिव व डीजीपी के बारे में सवाल पूछे जाने पर श्री सोरेन ने कहा कि राज्य में सरकार चल रही होती, तो कार्रवाई होती. सरकार खुद इसके लिए जिम्मेदार है. राज्यपाल को इस पर संज्ञान लेते हुए सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए. श्री सोरेन ने कहा कि सदन सिर्फ नली व पुल-पुलिया पास कराने के लिए नहीं है.
नीतिगत मामलों पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. विपक्ष के पास जनहित के कई मुद्दे हैं. सदन में इस मुद्दे पर सरकार को घेरा जायेगा. इसको लेकर रणनीति तैयार कर ली गयी है. श्री सोरेन ने जाते-जाते कहा कि आगे देखिए मजा आयेगा.

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