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झारखंड : नये रूप में होगा कृषि विभाग का बजट
रांची : कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग का 2018 का बजट नये रूप में होगा. इस बार एक तरह की स्कीम एक साथ होगी. विभागीय स्तर पर इसकी तैयारी कर ली गयी है. विभाग ने तय किया है कि एक तरह की स्कीम को एक छत के नीचे लाया जायेगा. इससे पिछले कुछ वर्षों से […]
रांची : कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग का 2018 का बजट नये रूप में होगा. इस बार एक तरह की स्कीम एक साथ होगी. विभागीय स्तर पर इसकी तैयारी कर ली गयी है. विभाग ने तय किया है कि एक तरह की स्कीम को एक छत के नीचे लाया जायेगा. इससे पिछले कुछ वर्षों से काम में हो रही परेशानी को दूर किया जा सकेगा. विभागीय अधिकारियों के अनुसार पशुपालन विभाग में एक तरह के काम अलग-अलग स्कीम से संचालित होते थे.
इससे कुछ जिलों में इसका फायदा होता था, तो कुछ जिलों का इसका नुकसान होता था. पशुपालन विभाग में बकरी वितरण, गाय वितरण, सूकर वितरण, चूजा वितरण आदि अलग-अलग संचालित होते थे. विभाग ने तय किया है इस तरह की एक ही स्कीम होगी. जिले के वरीय अधिकारी प्राथमिकता के अाधार पर इसका वितरण कर सकते हैं.
निर्माण कार्यों के लिए भी एक ही स्कीम
विभाग ने तय किया है कि कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा निर्माण होने वाले कार्य एक ही स्कीम के तहत होंगे.
एक ही स्कीम से पशु स्वास्थ्य केंद्र, गोकुल ग्राम, बल्क मिल्क कूलर सेंटर, छोटे-छोटे कार्यालयों का निर्माण होगा. अभी अलग-अलग निर्माण के लिए अलग-अलग स्कीम है. इससे काम करने वाले स्थानीय अधिकारियों को परेशानी कम होगी. विभाग ने तय किया है कि इस बार बजट में कई ऐसे प्रावधान किये जायेंगे, जिससे विभागीय अधिकारियों को काम करने में कम से कम परेशानी हो. स्कीमों का सरलीकरण किया जा रहा है.
बंद होगी एनजीओ की भागीदारी
विभाग ने तय किया है कि अब कृषि विभाग के कार्यों में एनजीओ की भागीदारी बंद कर दी जायेगी. जो काम एनजीओ कर रहे हैं, वह काम सखी मंडल के माध्यम से होंगे. हालांकि, पूर्व से प्रतिष्ठित एनजीओ के कार्य जारी रहेंगे. विभाग सखी मंडल से कराये जाने वाले काम की राशि झारखंड राज्य अाजीविका मिशन को देगी. आजीविका मिशन ही कृषि विभाग के कार्यों का संचालन करेगा.
झारखंड के बजट पर आपकी राय
समान काम का समान वेतन मिले
झारखंड में शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा परियोजना परिषद के कर्मियों का योगदान प्रारंभ से ही काफी अहम रहा है. लेकिन अनुबंध कर्मियों के प्रति सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति से कर्मियों के मनोबल में ह्रास हो रहा है. इसका प्रतिकूल प्रभाव शिक्षा विभाग की उपलब्धियों पर पड़ रहा है. सरकार के द्वारा इन अनुबंध कर्मियों को भी अन्य सरकारी कर्मियों की तरह समान काम के लिए समान वेतन का प्रावधान आगामी बजट में किया जाना चाहिए.
– राजीव रंजन सिंह, मेदनीनगर, पलामू
प्राथमिक शिक्षकों की कमी दूर हो
राज्य में शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है. सरकारी स्कूलों में आज भी शिक्षकों की कमी है. इस कमी को दूर किये बिना शिक्षा का विकास नहीं हो सकता है. खासकर प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर होनी चाहिए.
राजेश कुमार महतो, सिल्ली
किसानों की स्थिति कब सुधरेगी
झारखंड सरकार द्वारा हर वर्ष समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की जाती है, इसके बाद भी किसानों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. सही समय पर धान केंद्र नहीं खुलने के कारण किसान को औने-पौने दाम पर अपने उत्पाद को बाजार में बेचना पड़ता है. वहीं पैक्स में धान देने पर भी सही समय पर पैसा नहीं मिल पाता है. इसलिए सरकार को चाहिए कि धान केंद्र के लिए सरकारी अधिकारी तथा कर्मचारियों की नियुक्ति करे.
रंजीत कुमार
भवन और शिक्षकों की कमी दूर हो
झारखंड संसाधनों से परिपूर्ण राज्य है. अलग राज्य होने के 17 वर्षों के बाद भी हमारा राज्य विकसित नहीं हो सका है. अतः बजट में शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. आज राज्य के अनेक विद्यालयों में भवन भी नहीं हैं. जहां भवन है, वहां शिक्षकों की कमी है, उसे तत्काल दूर करना चाहिए.
कन्हाई लाल, लालपुर, रांची
स्वास्थ्य विभाग में खाली पदों को भरने की जरूरत
बजट में पारा मेडिकल स्वास्थ्य कर्मियों के खाली पदों को भरने की जरूरत है. यह हालत तब है जब स्थायी सरकार के तीन साल पूरे हो चुके हैं. पारा मेडिकल कर्मी स्वास्थ्य विभाग के रीढ़ होते हैं.
मनोज कुमार, रांची कॉलेज
उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रयास हो
झारखंड में लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रयास होना चाहिए. इसके लिए लैंड बैंक की स्थापना होनी चाहिए. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यहां उद्योग खोलने में परेशानी नहीं हो. इससे पलायन रोकने में मदद मिलेगी.
बीके तुलस्यान
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