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पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा समेत चार दोषी

नयी दिल्ली/रांची: सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले के एक मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा समेत चार लोगों तथा विन्नी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड को दोषी ठहराया है. इन सभी को आपराधिक साजिश रचने का दोषी पाया गया है. इनकी सजा के बिंदुओं पर विशेष कोर्ट में गुरुवार […]

नयी दिल्ली/रांची: सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले के एक मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा समेत चार लोगों तथा विन्नी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड को दोषी ठहराया है. इन सभी को आपराधिक साजिश रचने का दोषी पाया गया है. इनकी सजा के बिंदुओं पर विशेष कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी और संभव है कि सजा का भी एलान हो.

इस मामले में स्पेशल कोर्ट के जज भरत पराशर ने मधु कोड़ा के अलावा पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु, कोड़ा के करीबी विजय जोशी और निजी कंपनी विन्नी आयरन व स्टील उद्योग लिमिटेड को दोषी करार दिया है. हालांकि, कोर्ट ने विन्नी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड के डायरेक्टर वैभव तुलस्यान, लोकसेवक बसंत कुमार भट्टाचार्य, विपिन बिहारी सिंह और सीए नवीन कुमार तुलस्यान को आरोपों से बरी कर दिया. यह मामला झारखंड में राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक का आवंटन कोलकाता स्थित विन्नी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (बीआइएसयूएल) को नियमों का उल्लंघन कर देने से जुड़ा है.

बुधवार को कोड़ा समेत अन्य को दोषी ठहराये जाने बाद कोयला घोटाले से संबंधित 30 में से चार मामलों का निपटारा स्पेशल कोर्ट ने कर दिया है. इन चार मामलों में 12 व्यक्तियों और चार कंपनियों को दोषी ठहराया गया है. इसी तरह झारखंड में अमरकोंडा मुर्गादंगल कोल ब्लॉक के आवंटन में अनियमितता के लिए कोड़ा के साथ गुप्ता व उद्योगपति नवीन जिंदल व पूर्व कोयला राज्यमंत्री दसारि नारायण राव को दोषी ठहराया गया है. संसद में पेश कैग की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि‍ इस आवंटन से सरकार को करीब 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इस मामले में दोषियों को सात से दस साल या आजीवन कारावास की सजा तक हो सकती है. इस साल छह दिसंबर को कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया था, जिसके बाद वह कोर्ट में पेश हुए थे.

सीबीआइ का आरोप है कि बीआइएसयूएल कंपनी ने जनवरी, 2007 को राजहरा नॉर्थ कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए आवेदन दिया था. आरोप में कहा गया है कि‍ झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने बीआइयूएसएल को कोयला ब्लॉक का आवंटन करने की सिफारिश नहीं की थी. इसके बावजूद 36वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने कंपनी को कोल ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश की. सीबीआइ ने यह भी आरोप लगाया कि स्क्रीनिंग कमेटी के तत्कालीन चेयरमैन एचसी गुप्ता ने यह बात उस वक्त तत्कालीन पीएम व कोयला मंत्रालय का प्रभार देख रहे मनमोहन सिंह से छिपायी कि झारखंड सरकार ने बीआइएसयूएल को ब्लॉक का आवंटन करने की सिफारिश नहीं की है.

मधु कोड़ा पर आरोप
कोड़ा 14 सितंबर, 2006 से 23 अगस्त, 2008 तक झारखंड के सीएम रहे. उन पर विन्नी आयरन एंड स्टील के लिए रजहरा कोल ब्लॉक आवंटन की अनुशंसा में आपराधिक साजिश का आरोप है.

अज्ञात स्थान पर गये
झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा सुबह साढ़े नौ बजे ही कोर्ट पहुंच गये. सुबह 10 बजे सीबीआइ के स्पेशल कोर्ट के जज भरत पराशर पहुंचे. 15 मिनट बाद फैसला पढ़ना शुरू किया. फैसला सुनाये जाने के बाद कोड़ा पिछले दरवाजे से किसी अज्ञात जगह पर चले गये.

सीबीआइ ने आरोप पत्र में कहा

सीबीआइ की ओर से दायर आरोप पत्र में कहा गया था कि मधु कोड़ा और आरोपी अधिकारियों ने विन्नी आयरन एंड स्टील के लिए रजहरा कोल ब्लॉक आवंटित करने की अनुशंसा सुनियोजित साजिश के तहत की थी. इस कोल ब्लॉक में 17.09 मिलियन टन कोयले के भंडार का अनुमान है. आरोप पत्र के अनुसार, इस कंपनी को कोल ब्लॉक आवंटित करने के लिए झारखंड सरकार के उद्योग मंत्रालय ने अनुशंसा नहीं की थी. पर, तत्कालीन मुख्य सचिव एके बसु ने तीन जुलाई 2008 को आयोजित 36वीं स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में हिस्सा लिया और इस कंपनी को कोल ब्लॉक देने से संबंधित अनुशंसा कर दी. इस कमेटी की अध्यक्षता पूर्व कोयला सचिव एसची गुप्ता ने की थी. अनुशंसा तब की गयी, जब मधु कोड़ा के करीबी विजय जोशी को इस कंपनी का मालिकाना हक मिला. इसके लिए कंपनी की परिसंपत्तियों को भी बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया था. इससे पहले कंपनी का मालिकाना हक तुलस्यान बंधुओं के पास था.

एके बसु, पूर्व मुख्य सचिव

19 मार्च, 2008 से 31 अगस्त, 2009 तक एके बसु झारखंड के मुख्य सचिव थे. इनके कार्यकाल में बीआइएसयूएल को कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था. हालांकि इसके लिए उद्योग विभाग ने सिफारिश नहीं की थी.

एचसी गुप्ता, पूर्व सचिव

सितंबर 2005 से नवंबर 2008 तक कोयला सचिव थे. स्क्रीनिंग कमेटी चेयरमैन गुप्ता ने यह तथ्य तत्कालीन पीएम से छिपाया कि झारखंड सरकार ने बीआइएसयूएल को आवंटन करने की सिफारिश नहीं की थी.

तीन साल बाद फैसला

दिसंबर, 2014 : सीबीआइ ने कोड़ा के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.

21 जनवरी, 15 : आरोिपयों को समन.

18 फरवरी, 15 : आरोपियों को अदालत ने जमानत दी.

31 जुलाई, 15 : आरोपियों के खिलाफ आरोप तय.

11 जुलाई, 17 : कोयला घोटाला की सुनवाई पूरी.

05 दिसंबर, 17 : कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.

13 दिसंबर, 17 : कोड़ा, गुप्ता और अन्य दोषी करार

दोषी

मधु कोड़ा (पूर्व मुख्यमंत्री), एचसी गुप्ता (पूर्व कोयला सचिव), एके बसु (पूर्व मुख्य सचिव),

विजय जोशी (विन्नी स्टील एंड आयरन के निदेशक), विन्नी स्टील एंड आयरन

बरी

वैभव तुलस्यान (कंपनी के निदेशक), नवीन कुमार तुलस्यान (चार्टर्ड एकाउंटेंट), बीबी सिंह (पूर्व खान निदेशक), बसंत भट्टाचार्य (तत्कालीन प्रशाखा पदाधिकारी, खान विभाग

धारा

120 बी, 420, 409 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत

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