रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, 2011-12 में ठेकेदारों ने राॅयल्टी के रूप में 92.46 करोड़ रुपये जमे किये. 2012-13 में 112.28 करोड़, 2013-14 में 142.16 करोड़, 2014-15 में 175.51 करोड़ और 2015-16 में 255.25 करोड़ रुपये जमा किये. इससे प्रमाणित होता है कि 2011-12 के मुकाबले 2015-16 में ढाई गुना से अधिक लघु खनिजों को अवैध खनन के सहारे निकाल कर निर्माण कार्यों में लगाया गया.
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अवैध खनन से मिली 777 करोड़ की रॉयल्टी
रांची: राज्य के ठेकेदारों ने अवैध रूप से निकाले गये स्टोन चिप्स, बोल्डर, बालू आदि के इस्तेमाल के बदले पांच साल (2011-16) में सरकार को रॉयल्टी के रूप में 777.69 करोड़ दिये हैं. अवैध खनन से सरकार को मिलनेवाली रॉयल्टी वर्ष 2011-12 की तुलना में 2015-16 में ढाई गुनी हो गयी है. इससे पता चलता […]
रांची: राज्य के ठेकेदारों ने अवैध रूप से निकाले गये स्टोन चिप्स, बोल्डर, बालू आदि के इस्तेमाल के बदले पांच साल (2011-16) में सरकार को रॉयल्टी के रूप में 777.69 करोड़ दिये हैं. अवैध खनन से सरकार को मिलनेवाली रॉयल्टी वर्ष 2011-12 की तुलना में 2015-16 में ढाई गुनी हो गयी है. इससे पता चलता है कि राज्य में अवैध खनन पिछले पांच सालों में ढाई गुना बढ़ गया है. महालेखाकार (एजी) ने अवैध खनन के बढ़ने का मुख्य कारण झारखंड लघु खनिज समानुदान नियमावली (जेएमएमसी रूल) के नियमों में विरोधाभास होना माना है.
अनुमान लगाया जा रहा है कि 2011-16 के दौरान अवैध रूप से निकाले गये लघु खनिजों का मूल्य 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक होगा.
खान भूतत्व विभाग की ऑडिट के बाद महालेखाकार की ओर से तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि ठेकेदारों ने निर्माण कार्यों मेे लगे लघु खनिजों का स्रोत बताने और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए वर्क्स डिपार्टमेंट में दो गुनी राॅयल्टी जमा करायी है.
क्या कहता है नियम
एजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जेएमएम रूल 54 (8) के अनुसार, बिना वैध लीज या अनुमति लिये खनन को अवैध माना जायेगा. ऐसा करने पर निकाले गये खनिजों के मूल्य के साथ ही राॅयल्टी और टैक्स आदि की वसूली की जायेगी. जेएमएम रूल 55 में प्रावधान है कि निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार वैध स्रोतों से निकाले गये खनिजों का ही इस्तेमाल करेंगे. ठेकेदारों को दो तरह के फार्म ( फार्म ओ और फार्म पी) जमा करने होंगे. फार्म ‘ओ’ में ठेकेदार खनिजों के स्रोत के वैध होने का शपथ देंगे. फार्म ‘पी’ में निर्माण कार्य में इस्तेमाल खनिजों का ब्योरा देना होता है. जांच में फार्म ‘ओ’ और ‘पी’ का ब्योरा गलत पाये जाने पर ठेकेदार की ओर से इस्तेमाल खनिजों का स्रोत अवैध माना जाता है. इस बात का भी प्रावधान है कि खनिजों पर लगनेवाली रॉयल्टी का दोगुना जमा किया जाता है, तो ठेकेदार पर खान विभाग कार्रवाई नहीं कर सकता.
अवैध खनन से राॅयल्टी
वित्तीय वर्ष रॉयल्टी (लाख में)
2011-12 9246.50
2012-13 11228.60
2013-14 14216.50
2014-15 17551.80
2015-16 25525.60
क्या किया ठेकेदारों ने
महालेखाकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि ठेकेदार इस विरोधाभासी प्रावधान का सहारे फार्म ‘ओ’ और फार्म ‘पी’ देने के बदले दो गुना रायल्टी जमा कर देते हैं. यानी ठेकेदार चिप्स पर 105 रुपये प्रति घनमीटर के बदले 210 रुपये, बालू पर 40 रुपये घनमीटर के बदले 80 रुपये और मोरम पर 30 रुपये प्रति घनमीटर के बदले 60 रुपये की दर से भुगतान करते हैं.
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