प्रज्ञा केंद्रों के कामकाज की निगरानी के लिए फ्लाइंग स्क्वायड बना कर प्रशासन द्वारा निरीक्षण किया गया. बताया गया कि निरीक्षण मुख्य उद्देश्य वास्तविक अपराधियों को पकड़ना व लोगों की मदद करना था. प्रज्ञा केंद्र का लाइसेंस गरीबों को देना है, लेकिन पाया गया कि एक ही व्यक्ति या उनके रिश्तेदारों के नाम नया लाइसेंस प्राप्त किया जा रहा है. पहाड़ी मंदिर के पास प्रज्ञा केंद्र का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था. नि:शुल्क आधार पंजीयन के नाम पर 50-100 रुपये लेने के आरोप में उसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया था.
सात-आठ माह के बाद पुन: वही ऑपरेटर नया लाइसेंस लेने में सफल रहा. साथ ही वार्ड ऑफिस में फिर से कार्यालय खोल दिया. जब यह मामला मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में आया, तो मामले की जांच करायी गयी, जिसमें आरोप सही पाया गया. उपायुक्त ने संबंधित पदाधिकारियों को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि रद्द लाइसेंसधारक किसी दूसरे रिश्तेदारों के नाम से पुन: लाइसेंस प्राप्त नहीं