रांची: निचली अदालतों में मामले के बोझ को कम करने के लिए झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) की ओर से राज्य के कई जिलों में मध्यस्थता केंद्र की स्थापना की गयी है.
इसमें प्री लिटिगेशन स्तर के मामलों का निबटारा होता है. मध्यस्थता केंद्र में सिविल, क्रिमिनल और वैवाहिक विवाद से संबंधित मामलों में दोनों पक्षों को समझा कर विवाद को सुलझाया जाता है. दिसंबर 2013 तक मध्यस्थता केंद्रों में वैवाहिक विवाद से संबंधित 3327 मामले दर्ज हुए. इसमें से सिर्फ (969 मामले) 30 प्रतिशत मामलों को समझौता हो पाया.
अब भी यहां पर वैवाहिक विवाद से संबंधित 848 मामले लंबित हैं. 50 फीसदी मामलों में समझौता नहीं होने पर मामले का निबटारा कर दिया गया. वैवाहिक विवाद से संबंधित सबसे अधिक मामले धनबाद में दर्ज हुए. रांची और जामताड़ा में भी मामले के निबटारे के लिए मध्यस्थता केंद्र पहुंच रहे हैं. हजारीबाग और लोहरदगा में वैवाहिक विवाद से संबंधित एक भी मामले दर्ज नहीं किये गये. मध्यस्थता केंद्र में वैवाहिक विवाद के छोटे-छोटे मामले को लेकर मामला दर्ज कराया जाता है. केंद्र में दोनों पक्षों की काउंसलिंग की जाती है. इनमें सहमति बनने के बाद ही केस का निबटारा किया जाता है.