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1500 बैंक खाते में बेकार पड़े हैं हजार करोड़ रुपये

रांची : सरकार के विभिन्न विभागों ने विकास मद का पैसा निकाल कर बैंकों में जमा कर रखा है. मुख्यमंत्री द्वारा इस राशि को वापस ट्रेजरी में जमा करने का निर्देश दिये जाने के बाद वित्त विभाग ने इससे संबंधित आंकड़ों की मांग विभागीय सचिवों से की है. वित्त विभाग को मिली सूचना के मुताबिक […]

रांची : सरकार के विभिन्न विभागों ने विकास मद का पैसा निकाल कर बैंकों में जमा कर रखा है. मुख्यमंत्री द्वारा इस राशि को वापस ट्रेजरी में जमा करने का निर्देश दिये जाने के बाद वित्त विभाग ने इससे संबंधित आंकड़ों की मांग विभागीय सचिवों से की है. वित्त विभाग को मिली सूचना के मुताबिक 1500 से अधिक बैंक खाते खोल कर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा कर रखी गयी है.

इन बैंक खातों में से कुछ ऐसे भी हैं, जो सरकार की अनुमति के बिना खोले गये हैं. वहीं, ज्यादातर राशि योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए विभिन्न विभागों या जिलों द्वारा निकाल कर बैंक में रखी गयी, लेकिन उनको खर्च नहीं किया जा सका.

बंद हो चुकी योजनाओं के नाम से भी जमा हैं रुपये : वित्त विभाग को मिली जानकारी के मुताबिक कई बैंक खातों में वर्षों से राशि पड़ी हुई है. खातों में जमा धन राशि में कुछ राशि उन योजनाओं की भी है, जो बहुत पहले बंद हो चुकी हैं. वित्त विभाग को पता चला है कि सुनिश्चित ग्राम रोजगार के नाम से चलने वाली एक योजना कई वर्ष पहले ही बंद हो चुकी है. हालांकि, उस योजना के तहत भी कई जिलों के बैंक खातों में राशि जमा कर रखी गयी है. इसके अलावा बैंक खातों में वृद्धावस्था पेंशन, कल्याण, सामाजिक सुरक्षा आदि योजनाओं के तहत भी राशि की निकासी कर बैंक खातों में छोड़ दी गयी है.
खाली है सरकारी कोष
राज्य सरकार के खजाने की स्थिति ठीक नहीं है. महिलाओं को एक रुपये में रजिस्ट्री के फैसले से निबंधन शुल्क के रूप में मिलने वाले राजस्व में करीब 800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. शराब से मिलने वाला राजस्व भी आधा हो गया है. जीएसटी की वजह से वाणिज्य कर विभाग से मिलने वाले राजस्व में गुणात्मक गिरावट आयी है. इन सबके अलावा कानूनी पेंच की वजह से खान-खदान से भी कोई खास राजस्व की आमदनी नहीं हो पा रही है. वर्तमान परिस्थितियों में विभिन्न योजनाओं के लिए बैंक खातों में बेकार पड़ी राशि वापस मिलने से सरकारी कोष को राहत मिल सकती है.

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