रांचीः रांची में रहना आसान नहीं है. पहले तो घर बनाना ही मुश्किल है. अगर किसी तरह घर बना भी लिया, तो पानी का कनेक्शन लेने में पसीने छूट जायेंगे. पानी का वैध कनेक्शन लेना हो या अवैध, दोनों के लिए चढ़ावा जरूरी है. कहने के लिए तो निगम ने सिंगल विंडो सिस्टम लागू कर दिया है. उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए वाटर बोर्ड कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है. कनेक्शन देने के लिए निगम द्वारा निबंधित प्लंबर घर-घर जा रहे हैं, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है.
प्लंबर से लेकर अभियंता तक को देना पड़ता है नजराना
पानी के कनेक्शन लेने के लिए आम लोगों को प्लंबर से लेकर अभियंता तक को घूस देना पड़ता है. इसके बाद भी निगम के कई चक्कर काटने पड़ते हैं. अगर कोई आदमी स्वयं पानी का कनेक्शन लेने के लिए वाटर बोर्ड पहुंचता है, तो उसका पता लेकर प्लंबर भेजने की बात कही जाती है. फिर, कई दिनों बाद (प्लंबर के मूड पर निर्भर करता है) प्लंबर संबंधित व्यक्ति के घर पहुंचता है. नक्शा बनाने व फार्म उपलब्ध कराने के नाम पर प्लंबर कम से कम एक हजार रुपये का सौदा करता है. रुपये देने के बाद उपभोक्ता स्वीकृति आदेश की प्रतीक्षा करता है.
प्रतीक्षा से अजीज आकर जब वह निगम कार्यालय पहुंचता है, तो पता चलता है कि साहब जांच करेंगे, तो स्वीकृति मिलेगी. फिर, कुछ और दिनों के बाद स्वीकृति आदेश आ जाता है. फिर 2300 जमानत के रूप में जमा करने के बाद अब बारी कनेक्शन लगाने की. कनेक्शन लगाने के लिए प्लंबर के साथ एक साहब और पहुंचते हैं. साहब पेयजल विभाग के अभियंता होते हैं. साहब मुंह खोल कर अपने आने की ‘फीस’ मांगते हैं. उनकी फीस चुकाने व प्लंबर को तीसरी बार चाय-पानी कराने के बाद लगता है पानी का कनेक्शन. इस पूरी प्रक्रिया में 2400 रुपये (पानी के नये कनेक्शन की तय दर) की जगह सात से आठ हजार रुपये खर्च होते हैं.