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झारखंड : बच्चे देश के भविष्य ही नहीं वर्तमान भी हैं‍ : राज्यपाल

बाल अधिकार संरक्षण आयोग का राज्य स्तरीय परामर्श रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बच्चों में जागरूकता आयी है और वे भविष्य के प्रति आशान्वित हैं. जब ये बच्चे जिम्मेदार पदों पर पहुंचेंगे, तो बाल अधिकार से जुड़े कानूनों का क्रियान्वयन अच्छी तरह करायेंगे़ बच्चे देश का भविष्य ही नहीं, वर्तमान भी हैं. […]

बाल अधिकार संरक्षण आयोग का राज्य स्तरीय परामर्श
रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बच्चों में जागरूकता आयी है और वे भविष्य के प्रति आशान्वित हैं. जब ये बच्चे जिम्मेदार पदों पर पहुंचेंगे, तो बाल अधिकार से जुड़े कानूनों का क्रियान्वयन अच्छी तरह करायेंगे़ बच्चे देश का भविष्य ही नहीं, वर्तमान भी हैं. यदि वर्तमान ठीक होगा, तभी भविष्य भी अच्छा होगा़
हमें हर बच्चे को अपना समझने की जरूरत है़ वह झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा बीएनआर चाणक्य में आयोजित अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार सप्ताह के तहत आयोजित कार्यक्रम में बोल रही थीं. इससे पूर्व उन्होंने बच्चों से बाल विवाह, ट्रैफिकिंग, बाल यौन-शोषण, बाल मजदूरी, स्वच्छता, लिंग-भेद आदि विषयों पर विभिन्न जिलों से आये बच्चों के विचार सुने़ बच्चों ने उन्हें 14 सूत्री ज्ञापन भी सौंपा़
राज्यपाल ने बाल मजदूरी के संदर्भ में कहा कि गांव के बच्चे घर के काम को जिम्मेदारी की तरह लेते हैं. लड़के खेतों में भी काम करते हैं, वहीं बालिकाएं रसोईघर में मदद देती हैं. राज्य में बीपीएल श्रेणी के लोग बहुत हैं. कोई भी अपने कलेजे के टुकड़े को खुशी से पैसे कमाने के लिए नहीं भेजता़ यदि बच्चे मजबूरी में श्रम करते हैं, तो वैसे बच्चों के परिवारों की पहचान कर उनकी मदद करने की जरूरत है़
कन्या भ्रूण जांच बंद होनी चाहिए : उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में कन्या भ्रूण की जांच बंद करने की जरूरत है़ बालिकाएं अपनी समस्याओं का समाधान शिक्षित होकर कर सकती हैं.
राज्य में लिंगानुपात अपेक्षाकृत बेहतर है़ स्वच्छता पर ध्यान दे़ं अपनी सोच साफ रखेंगे, तो हर बात स्वच्छ होगी़ बच्चों से उन्होंने कहा कि वे अपने माता-पिता के साथ अपने गुरुओं की बात भी मानें. चाल-चलन व व्यवहार ऐसा हो कि दूसरे उनसे सीख लें. मौके पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर, सेव द चिल्ड्रेन के सीइओ थॉमस चांडी, वर्ल्ड विजन के एसोशिएट डाइरेक्टर सत्यप्रकाश प्रमाणिक ने भी विचार रखे़
पलायन पर न हो राजनीति
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि झारखंड में पलायन एक मशहूर शब्द बन गया है़ वह पलायन को सकारात्मक नजरिये से देखते हैं. यह पेड़ के नीचे बैठ कर ताश खेलते रहने से बेहतर है़
एक हजार में से सिर्फ दो को ही सरकारी नौकरी मिल सकती है़ मुद्रा लोन याेजना का लाभ उठा कर स्वरोजगार से जुड़ सकते हैं व दूसरों को भी नौकरी दे सकते हैं. पलायन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. लड़कियाें-महिलाओं को धोखा देकर बाहर ले जाना और उनका आर्थिक-शारीरिक शोषण करना बेशक गलत है़ देश की आजादी के बाद से एनजीओ को मिले राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फंड और जिस कार्य के लिए दिये गये, उसकी प्रगति का सोशल ऑडिट होना चाहिए़
मानवीय संवेदनाएं ज्यादा महत्वपूर्ण
पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि जंगल क्षेत्र के बच्चों में काफी देशज ज्ञान है़ इनकी अलग से पहचान करने की जरूरत है़ सभ्य समाज बच्चों पर ज्यादा अत्याचार करता है और इस पर नियंत्रण जरूरी है़
मानवीय संवेदनाएं कानून से ज्यादा महत्वपूर्ण है. पलायन व पोषण को प्राथमिक विषय बनाने की जरूरत है़ मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि शहर व गांव में बालश्रम का अर्थ अलग है़ इसे श्रेणीबद्ध करने और नीति बनाने की आवश्यकता है़ शहरी, ग्रामीण बच्चे और युवाओं में डेंड्राइट नशे का प्रचलन तेजी से बढ़ा है़ इस पर नियंत्रण के लिए समुचित कदम उठाने की जरूरत है़ बाल तस्करी पर रोक के लिए हर थाना में बाल संरक्षण केंद्र बनाया जाये़

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