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झारखंड के 13 फीसदी शहरी डायबिटीज के शिकार

रांची : झारखंड में डायबिटीज तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की मानें, तो राज्य के 13.5 फीसदी लोग डायिबटीज के शिकार हैं. वहीं, 11 फीसदी लोग प्री डायबिटिक हैं. यानी वे डायबिटीज की दहलीज पर हैं. अगर प्री डायबिटिक लोग भी डायबिटीज के मरीज […]

रांची : झारखंड में डायबिटीज तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की मानें, तो राज्य के 13.5 फीसदी लोग डायिबटीज के शिकार हैं. वहीं, 11 फीसदी लोग प्री डायबिटिक हैं. यानी वे डायबिटीज की दहलीज पर हैं. अगर प्री डायबिटिक लोग भी डायबिटीज के मरीज में तब्दील हो गये, तो झारखंड के शहरी इलाकों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या कुल शहरी आबादी की एक चौथाई हो जायेगी.

यह डाटा आइसीएमअार के लिए दो साल पहले तैयार किया गया था. भुवनेश्वर में आइसीएमआर द्वारा दो से पांच नवंबर 2017 को आयोजित के सेमिनार में इस पूरी रिपोर्ट को डॉ वी मोहन ने प्रस्तुत किया. इस रिपोर्ट में देश के 22 राज्यों के आंकड़ों को शामिल किया गया है. शेष राज्यों के आंकड़े को अभी जोड़ना बाकी है.

कई गंभीर बीमारियों को न्याेता देता है डायबिटीज
विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें, तो डायबिटीज की चपेट में आने के बाद मरीजों में गंभीर बीमारी हार्ट, हाई ब्लड प्रेशर, किडनी एवं डायबिटी रेटिनापैथी से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में डायबिटीज की रोकथाम के लिए जागरूकता जरूरी है. डायबिटीज से बचने के लिए नियमित व्यायाम, संतुलित खानपान और बेहतर जीवनशैली भी जरूरी है. महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी होने से डब्लूएचओ ने इस साल डायबिटीज व महिला का थीम रखा गया है.

ग्रामीण क्षेत्र में 3 फीसदी डायबिटिक व सात फीसदी दहलीज पर : राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में भी तेजी से लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं. रिपोर्ट की मानें, तो ग्रामीण क्षेत्र में तीन फीसदी लोग डायबिटीज से पीड़ित है. वहीं, सात फीसदी डायबिटीज के दहलीज पर हैं. विशेषज्ञों की मानें, तो ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं भी डायबिटीज की चपेट में आ रही हैं. इसका मूल वजह शारीरिक मेहनत नहीं करना है.

ऐसे समझें डायबिटीज व प्री-डायबिटीज : किसी व्यक्ति के शुगर का लेबल अगर खाली पेट 100 से 126 मिलीग्राम प्रति डेसी लिटर (D/L) से के बीच हो, तो वह प्री डायबिटीक होगा. वहीं, अगर यह 126 से अधिक हो तो वह व्यक्ति डायबिटिक कहता है. अगर किसी व्यक्ति के खाने के दो घंटे के बाद शुगर का लेबल 140 से 200 मिलीग्राम प्रति डेसी लिटर (D/L) के बीच है, तो वह प्री डायबिटिक कहता है. वहीं, 200 के अधिक है तो वह डायबिटिक होता है.

आयुर्वेद में हैं नियंत्रित करने के उपाय
डायबिटीज से बचने व उसको नियंत्रित रखने में आयुर्वेद व जड़ी-बूटी का बहुत योगदान है. इंटीग्रेटेड मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ एसके अग्रवाल ने बताया कि मेथी, करीपत्ता, अमृता, दालचीनी एवं हल्दी का प्रयोग डायबिटीज में कारगर होता है. दालचीनी का उपयोग दो से तीन ग्राम नियमित किया जाये, तो काफी लाभ पहुंचता है.

राज्य के शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों में लोग तेजी से डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं. प्री-डायबिटिक की संख्या ज्यादा बढ़ रही है. प्री-डायबिटिक राज्य के शहरी इलाके में 11 फीसदी है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में सात फीसदी है. महिलाओं संख्या भी बढ़ रही है. दो से पांच नवबंर को आयोजित आइसीएमआर के कार्यक्रम में इस रिपोर्ट को जारी किया गया. नियंत्रण के लिए जागरूकता की आवश्यकता है.

डॉ वीके ढांढनिया, डायबिटोलॉजिस्ट

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