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बड़ा सवाल : रांची के कांटा टोली चौराहे पर 15 फीसदी वाहनों के लिए फ्लार्इ आेवर, तो 85 फीसदी के लिए…?

रांची : झारखंड की राजधानी रांची आैर रांची में सड़कों पर जाम. इस शहर के कांटा टोली चौराहे पर रोजाना लगने वाले जाम से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार की आेर से फ्लार्इ आेवर बनाने की परियोजना बनायी गयी है. सरकार की इस परियोजना के विरोध में कांटा टोली के रैयतों आैर व्यवसायियों ने मोर्चा […]

रांची : झारखंड की राजधानी रांची आैर रांची में सड़कों पर जाम. इस शहर के कांटा टोली चौराहे पर रोजाना लगने वाले जाम से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार की आेर से फ्लार्इ आेवर बनाने की परियोजना बनायी गयी है. सरकार की इस परियोजना के विरोध में कांटा टोली के रैयतों आैर व्यवसायियों ने मोर्चा संभाल रखा है. कांटा टोली रैयत एवं व्यवसायी एकता संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने इस फ्लार्इ आेवर के निर्माण को लेकर सरकार की मंशा पर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है. समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार को पहले यह साफ कर देना चाहिए कि वह कांटा टोली चौराहे पर लगने वाले जाम से निजात दिलाने के लिए फ्लार्इ आेवर का निर्माण कराने जा रही है या फिर महज एक आेवर ब्रिज?

देखिये, क्या कहते हैं समिति के कोषाध्यक्ष

कांटा टोली रैयत एवं व्यवसायी एकता संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष एसएम कैसर ने बताया कि उनकी समिति विकास के खिलाफ नहीं है. विकास हो, लेकिन विनाश के नाम पर न हो. उनका कहना है कि सरकार कांटा टोली चौक पर जाम से निजात दिलाने के नाम पर फ्लार्इ आेवर का निर्माण कराने जा रही है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सही मायने में यह फ्लार्इ अोवर होगा या फिर महज एक आेवर ब्रिज? उन्होंने कहा कि सरकार बहू बाजार की आेर से कोकर की तरफ जाने वाले करीब 15 फीसदी वाहनों के लिए फ्लार्इ आेवर का निर्माण कराने तो जा रही है, लेकिन बाकी के 85 फीसदी वाहनों की आवाजाही के लिए क्या व्यवस्था होगी?

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बहू बाजार से कोकर की तरफ 15 फीसदी वाहनों का ट्रैफिक

समिति के उपाध्यक्ष कैसर ने बताया कि कांटा टोली चौराहे पर वाहनों की आवाजाही मुख्य रूप से नामकुम रोड, डंगरा टोली रोड, बहू बाजार रोड आैर कोकर रोड की आेर से होती है. उन्होंने बताया कि इसमें नामकुम आैर डंगरा टोली की आेर से करीब 85 फीसदी वाहनों की आवाजाही होती है आैर बहू बाजार से कोकर की आेर से 15 फीसदी वाहन अपने गंतव्य की आेर जाते हैं.

केवल 15 फीसदी वाहनों के लिए आेवर ब्रिज?

उन्होंने कहा कि सरकार की आेर से फ्लार्इ आेवर निर्माण के लिए जो परियोजना बनायी गयी है, वह केवल बहू बाजार से कोकर की आेर जाने वाले वाहनों की आवाजाही के लिए है. उनका सवाल यह है कि यदि सही मायने में सरकार कांटा टोली से होकर गुजरने वाहनों को जाम से मुक्ति दिलाना चाहती है, तो उसे यहां पर एकतरफा आेवर ब्रिज बनाने के बजाय नामकुम रोड, डंगरा टोली रोड, बहू बाजार रोड आैर कोकर रोड की आेर आने-जाने वाहनों के लिए फ्लार्इ आेवर बनाया जाता.

जाम से समाधान के क्या है स्थायी समाधान

समिति के उपाध्यक्ष कैसर ने कहा कि कांटा टोली चौराहे पर जाम से मुक्ति दिलाने के लिए आेवर ब्रिज का निर्माण ही केवल स्थायी समाधान नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार यदि सही मायने में यहां आने वाले वाहनों को जाम से मुक्ति दिलाना चाहती है, तो उसे सबसे पहले खादगढ़ा के बस स्टैंड को शहर से दूर ले जाना चाहिए. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सड़क के किनारे जगह-जगह खड़ा होने वाले टैंपो के लिए स्थायी स्टैंड का निर्माण कराना होगा. इसके साथ ही, चौराहे पर ट्रैफिक लाइट कंट्रोल सिस्टम को बहाल करना होगा.

राजभवन को चारों आेर से 30 फीट किया जाये छोटा

समिति ने सरकार को दिये प्रस्ताव में कहा है कि सरकार को यदि जाम से निजात दिलाना है, तो उसे सिविल कोर्ट, डीसी आॅफिस, लोक निर्माण विभाग कार्यालय, नगर निगम आैर रजिस्ट्री कार्यालय को भी शहर से बाहर करना होगा. इसके साथ ही, रातू रोड के जाम को कम करने के लिए राजभवन के चारों आेर से करीब 30-30 फीट छोटा कर देना चाहिए.

सीएनटी कानून के तहत कराया जाये विकास कार्य

समिति ने कहा कि सरकार अगर कांटा टोली पर फ्लार्इ आेवर का निर्माण कार्य करा रही है, तो उसे जमीन अधिग्रहण के मामले में सीएनटी प्रावधानों के नियमों का पालन करना चाहिए. उसने कहा कि सरकार आम आदमी के लिए सीएनटी एक्ट के प्रावधानों के तहत जमीन की रजिस्ट्री आदि पर तो रोक लगा रखी है, लेकिन फ्लार्इ आेवर के निर्माण में इसका वह खुद ही उल्लंघन कर रही है.

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