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करें एक क्लिक…मिल जायेगा झारखंड की नदियों का उदगम और बहने का रास्ता

साइंस सेंटर चिरौंदी. 400 से अधिक विज्ञान के आश्चर्य से हो सकते हैं आप रू-ब-रू साइंस सेंटर चिरौंदी. मोरहाबादी से करीब चार किमी दूर. यह सेंटर विज्ञान के अदभुत निर्माण और थ्योरी का गवाह है. खास बात है कि आप विज्ञान के अचरज को यहां लाइव देख सकते हैं. जैसे प्रवेश द्वार के ठीक सामने […]

साइंस सेंटर चिरौंदी. 400 से अधिक विज्ञान के आश्चर्य से हो सकते हैं आप रू-ब-रू
साइंस सेंटर चिरौंदी. मोरहाबादी से करीब चार किमी दूर. यह सेंटर विज्ञान के अदभुत निर्माण और थ्योरी का गवाह है. खास बात है कि आप विज्ञान के अचरज को यहां लाइव देख सकते हैं.
जैसे प्रवेश द्वार के ठीक सामने एक नल से गिरता पानी दिखता है. यहां सिर्फ आपको पानी गिरता हुआ दिखेगा, लेकिन यह पानी आता कहां से है यह एक नजर में नहीं पता चलता है. इसके बाद मुख्य बिल्डिंग पहुंचने के रास्ते के दोनों ओर विज्ञान के अदभुत चमत्कार दिखेंगे. यहां एक क्लिक पर झारखंड की नदियों के उदगम स्थल और उसके मार्ग को आप जान जायेंगे. इस सेंटर का निर्माण झारखंड सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने किया है. 11 एकड़ में 12 करोड़ रुपये खर्च कर तैयार किये गये इस यूनिक सेंटर पर पेश है राहुल गुरु ‍@ रांची की खास रिपोर्ट.
पूरी बिल्डिंग में विज्ञान के अजूबे
इस बिल्डिंग को बनाने में केंद्र और राज्य सरकार ने मिल कर काम किया है. 2001 में शिलान्यास होने के बाद लगभग नौ साल में यह बिल्डिंग बनकर तैयार हुई. 29 नवंबर 2010 को यह बिल्डिंग आमलोगों के लिए खोल दी गयी. वैसे तो पूरा परिसर 11 एकड़ में बना है, लेकिन आश्चर्य से भरी विज्ञान बिल्डिंग 4200 वर्ग फुट में फैली है.
जब आप इस बिल्डिंग में प्रवेश करते हैं, तब आप साइंस के आश्चर्यों से रू-ब-रू होते हैं. यहां मौजूद प्लानेट मोशन मॉडल में लोहे के गोले को डालकर ग्रहों की घूर्णन स्थिति में यह जान सकते हैं कि किन वजहों से सौरमंडल के विभिन्न ग्रहों का घूर्णन काल अलग-अलग होता है. इसके अलावा आप यहां फ्रांस के महान भौतिक विज्ञानी फोकाल्ट द्वारा निर्मित फोकाल्ट पेंडुलम के मॉडल से दिन-रात होने की प्रक्रिया को जान पायेंगे. इस तरह के 400 से अधिक आश्चर्य को आप यहां देख सकते हैं, समझ सकते हैं.
तीन गैलरी में आश्चर्य ही आश्चर्य
पूरी बिल्डिंग को तीन गैलरी में बांटा गया है. यहां लाइव प्रेजेंटेशन के माध्यम से साइंस की बातों को समझाया जाता है. इस साइंस सेंटर को डेवलप करने के पीछे का उद्देश्य लोगों को न सिर्फ विज्ञान से जोड़ना बल्कि थ्योरी को समझाना भी है. यहां बनायी गयी गैलरियां फन साइंस, हाउ थिंग्स वर्क और झारखंड गैलरी के नाम से है.
फन साइंस गैलरी
साइंस सेंटर की मुख्य बिल्डिंग के प्रथम तल पर फन साइंस गैलरी मौजूद है. इस गैलरी में एक दर्जन से अधिक ऐसे मॉडल हैं, जिसकी मदद से साइंस के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है. यहां विज्ञान की बातों को समझाने के लिए मॉडल को कई फनी तरीके से समझाया गया है. इस गैलरी में गुरुत्व नियम को उल्लंघन करती वस्तु, दृष्टि भ्रम उत्पन्न करनेवाले मॉडल, कलाबाजी करती गेंदों के अलावा भ्रम पैदा करनेवाले प्रतिबिंब से विज्ञान को समझ सकते हैं.
हाउ थिंग्स वर्क
यह गैलरी भी पहले तल्ले पर ही मौजूद है. यहां आप कोई भी चीज कैसे बनती है या कैसे काम करती है, आदि को समझा जा सकता है. यहां यह दिखाया गया है कि रोजाना इस्तेमाल में आनेवाला सामान कैसे तैयार होता है. पेन से लेकर हवाई जहाज के निर्माण तक को जान सकते हैं. उसके बेसिक कांसेप्ट को समझ सकते हैं.
स्पेशल है रिसोर्स ऑफ झारखंड गैलरी
मुख्य बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर में मौजूद इस रिसोर्स ऑफ झारखंड गैलरी को स्पेशल गैलरी कहा जा सकता है. तीन हिस्सों में बंटी इस गैलरी को जानने-समझने के लिए कम से कम घंटे भर का समय आपको देना होगा. इस गैलरी में आप झारखंड के प्राकृतिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक, मानव तथा भूगर्भीय संसाधन को करीब से देखकर महसूस कर सकते हैं.
गैलरी के पहले हिस्से में प्रवेश करते ही दाहिने हाथ झारखंड के खनिजों के यथार्थ दस्तावेज सेग्मेंट में लगे इलेक्ट्रिक बटन को दबाकर संबंधित खनिज का राज्य में कितना उत्पादन होता है और देश के उत्पादक राज्यों में स्थान क्या है? की जानकारी हासिल कर सकते हैं. इसके बाद गतिमान झारखंड सेग्मेंट में झारखंड में बहने वाली नदियों के उद्गम स्थल और उसके बहने के रास्ते को इलेक्ट्रिक माध्यम से समझ सकते हैं. किस नदी पर कितने डैम कहां-कहां बने हैं, यह भी जान सकते हैं.
इसी हिस्से में मौजूद कोयला खान में प्रवेश कर कोल उत्पादन की कार्यप्रणाली देख सकते हैं. गैलेरी का दूसरा हिस्सा जंगल सफारी है. यहां आपको झारखंड के जंगलों के घनत्व और इसमें रहने वाले जानवरों की जानकारी मिलेगी. गैलरी का तीसरा और अंतिम हिस्सा कई खंडों में विभाजित है. यहां झारखंड की जनजातियों के बारे जान सकते हैं. इसके अलावा उनके वाद्यायंत्रों की जानकारी भी ले सकते हैं. वाद्ययंत्र को प्रदर्शित करता स्वरित झारखंड सेग्मेंट में आप इलेक्ट्रॉनिक बटन की मदद से उनकी आवाज को सुन भी सकते हैं.
यह भी है खास
शिशु कक्ष : यहां बच्चे विभिन्न तरह की पहेलियों तथा विज्ञान के उपकरणों की सहायता से साधारण प्रयोग का आनंद ले सकते हैं.
तारामंडल : गुंबदकार फूलने योग्य तारामंडल में एक साथ 30 विद्यार्थी खगोल विज्ञान के सिद्धांत को समझ सकते हैं. हालांकि अभी यह निर्माणाधीन है.विज्ञान प्रदर्शन कक्ष : इस भाग में मंत्रमुग्ध करने वाले प्रदर्शन तथा प्रयोग हैं.
लेकिन बताने वाले सिर्फ चार
आश्चर्यों से भरे इस साइंस सेंटर में समस्याएं भी हैं. यहां कर्मियों की कमी है. साइंस सेंटर में 21 लोग कार्यरत हैं. इसमें 15 वैसे कर्मचारी हैं, जिन्होंने साइंस सेंटर के लिए जमीन दी है. इसके अलावा चार तकनीकी कर्मी, एक क्यूरेटर और एक टेक्निकल अफसर. यानी यदि कोई इस साइंस सेंटर को जानना-समझना चाहे, तो बताने वाले सिर्फ चार छात्र. चारों पॉलिटेक्निक के छात्र हैं, जो यहां इंटर्न कर रहे हैं.
इसे जानिए
एरिया : 11 एकड़
मुख्य भवन का विस्तार : 4200 वर्ग फुट में
शिलान्यास : 2001
कुल बजट : 12 करोड़ रुपये
ओपनिंग : 29 नवंबर 2010
कब देखें : बुधवार से सोमवार (मंगलवार व राष्ट्रीय अवकाश छोड़कर)
निर्धारित समय : सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक
प्रवेश शुल्क : 10 रुपये (सामान्य), पांच रुपये (विद्यार्थियों के लिए)
गैलरी : तीन
मॉडल : 400 से अधिक
कहते हैं प्रमुख
यहां कर्मचारियों की कमी है, लेकिन इस कमी को दूर करने के लिए हमने पद सृजन आैर नियुक्ति का प्रस्ताव संबंधित विभाग को दिया है. जल्द ही यहां कर्मचारियों की नियुक्ति होगी. साथ ही साइंस सेंटर के विस्तार की दिशा में भी काम चल रहा है.
– जीएसपी गुप्ता, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर, साइंस सेंटर

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