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बंद खदानों के पानी के इस्तेमाल के लिए बनेगा ब्लू प्रिंट

रांची : राज्य के बंद पड़े खदानों के पानी के इस्तेमाल के लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार किया जायेगा. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग इसकी तैयारी कर रहा है. 30 अक्तूबर को झारखंड माइनिंग शो में पेयजल विभाग एवं कोल इंडिया के बीच पानी के इस्तेमाल को लेकर एमओयू हुआ था. जिसमें कम से कम 30 […]

रांची : राज्य के बंद पड़े खदानों के पानी के इस्तेमाल के लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार किया जायेगा. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग इसकी तैयारी कर रहा है. 30 अक्तूबर को झारखंड माइनिंग शो में पेयजल विभाग एवं कोल इंडिया के बीच पानी के इस्तेमाल को लेकर एमओयू हुआ था. जिसमें कम से कम 30 वर्षों तक बंद खदान पेयजल विभाग को दिये जायेंगे. अनुमान है कि ऐसे करीब एक सौ बंद खदान हैं, जिनका पानी इस्तेमाल किया जा सकता है.

पेयजल विभाग के अभियंता प्रमुख रमेश प्रसाद ने बताया कि अभी यह तय नहीं है कि किस खदान से पानी लिया जायेगा. सबसे बड़ी बात है कि एमओयू हो गया. इसके बाद अब पेयजल विभाग ऐसे सारे खदानों का सर्वे करायेगा. सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल से ऐसे खदानों की सूची मांगी गयी है. इसके बाद एक-एक खदान को लेकर डीपीआर तैयार होगा. खदानों से कितनी आबादी को जलापूर्ति हो सकेगी, इससे संबंधित रिपोर्ट बनेगी. इसमें यह भी देखा जायेगा कि कितना खदान लेने योग्य है और कितना नहीं. फिर इसे योजना में शामिल कर बजट पेश किया जायेगा.

2520 मिलियन गैलन पानी मिलेगा
हालांकि, कोल इंडिया की ओर से कहा गया है कि उसके बंद खदानों से झारखंड सरकार को 2520 मिलियन गैलन पानी एक वर्ष में मिलेगा. जबकि अभियंता प्रमुख कहते हैं कि अभी आकलन होना बाकी है कि कितना पानी है. यह लंबे समय से मांग हो रही थी कि खदानों के पानी का इस्तेमाल किया जायेगा. पर मामला एमओयू को लेकर अटक रहा था. पेयजल विभाग को खदान के समीप एक पूरा सेटअप तैयार करना होता है, जिसमें करोड़ों रुपये खर्च होते हैं. मामला इसी को लेकर अटका हुआ था कि कहीं ऐसा न हो कि कोयला कंपनियां खदान वापस मांगे, तब ऐसी स्थिति में सारा सेटअप बेकार हो जाता. अब कम से कम 30 वर्षों के लिए खदान पेयजल विभाग के पास होगा तो विभाग पेयजलापूर्ति का सेटअप तैयार कर आसपास के इलाकों में जलापूर्ति योजना तैयार करेगी. अभियंता प्रमुख ने बताया कि दो से तीन माह में ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया जायेगा. इसके बाद उसी के अनुरूप योजनाओं पर काम किया जायेगा.
प्रयोग के तौर पर एक खदान को लिया गया है
पेयजल विभाग द्वारा प्रयोग के तौर पर गिरिडीह स्थित पतरोडीह कोयला खदान का इस्तेमाल किया जा रहा है. पाइप जलापूर्ति योजना से आसपास के पांच हजार लोगों के घरों में जलापूर्ति हो रही है.

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