बाद में गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय के स्तर पर मामले की सुपरविजन करायी थी. इसमें तीन आइपीएस अफसरों ने सुपरविजन किया़, लेकिन मामले में उक्त अफसरों को मुख्यालय ने दोषी नहीं मानते हुए क्लीन चिट दे दिया. अब इस मामले में लोकायुक्त के स्तर से निर्णय लिया जाना बाकी है.
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कोयला तस्करों को बचाने में नपे दो थानेदार
रांची : कोयला तस्करी मामले में आरोपी कोयला तस्करों को जांच में लाभ पहुंचाने के आरोप में दो थानेदारों पर कार्रवाई की गयी है. मामला बोकारो जिले का है. ये हैं चास मुफस्सिल थाने के तत्कालीन थानेदार संजय कुमार और आमोद नारायण सिंह. संजय अभी सीआइडी में इंस्पेक्टर हैं, जबकि आमोद नारायण सिंह रांची में […]
रांची : कोयला तस्करी मामले में आरोपी कोयला तस्करों को जांच में लाभ पहुंचाने के आरोप में दो थानेदारों पर कार्रवाई की गयी है. मामला बोकारो जिले का है. ये हैं चास मुफस्सिल थाने के तत्कालीन थानेदार संजय कुमार और आमोद नारायण सिंह. संजय अभी सीआइडी में इंस्पेक्टर हैं, जबकि आमोद नारायण सिंह रांची में बतौर इंस्पेक्टर पदस्थापित हैं. विभागीय कार्रवाई के बाद दोनों की एक-एक वर्ष के वेतन वृद्धि पर रोक लगाने की कार्रवाई की गयी है.
इस मामले में आरोपी चास मुफस्सिल थाने के ही तत्कालीन दारोगा प्रेम मोहन के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अभी पूरी नहीं हुई है, क्योंकि वे फिलवक्त चाईबासा मंडल कारा में एक मामले में बंद हैं. इस वजह से उनकी जांच अब तक पूरी नहीं की जा सकी है. उक्त कार्रवाई बोकारो रेंज डीआइजी के स्तर से की गयी है. इस संबंध में पुलिस मुख्यालय की ओर से लोकायुक्त कार्यालय को रिपोर्ट भेजी गयी है. उल्लेखनीय है कि बोकारो कोयला तस्करी से जुड़े पांच मामलों में एसीबी ने जांच कर रिपोर्ट दी थी. इसमें दो आइपीएस अफसरों के भी कोयला तस्करों को सुपरविजन में लाभ पहुंचाने का मामला सामने आया था.
दो अनुसंधानकर्ता रिटायर्ड, एक की मौत डीएसपी को नाेटिस
बोकारो कोयला तस्करी मामले में चास मुफस्सिल थाने में कांड संख्या 46/2008 दर्ज किया गया था. उस वक्त संजय कुमार वहां के थाना प्रभारी थे, जबकि मामले के अनुसंधानकर्ता की मौत हो चुकी है. इस वजह से उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई नहीं की जा सकी. इसी तरह कांड संख्या 56/2008 के तत्कालीन प्रभारी अमोद नारायण सिंह पर कार्रवाई हो गयी है. वहीं अनुसंधानकर्ता बुचना चौबे और वीरेंद्र नाथ पांडेय रिटायर्ड हो चुके हैं. इस वजह से इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी है. वहीं कांड संख्या 60/2008 में तत्कालीन दारोगा प्रेम मोहन के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई बाकी है. क्योंकि वे जेल में हैं. वहीं मामले में आरोपी तत्कालीन डीएसपी रेणुबाला को अपने पक्ष रखने के लिए उनके लखनऊ के पते पर नोटिस दिया गया है. लेकिन उन्होंने अब तक मामले में अपना पक्ष लोकायुक्त के यहां नहीं रखा है.
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