ट्रांसमिशन लाइन के लिए भूमि देने पर अब मिलेगा मुआवजा, मालिकाना हक भी बना रहेगा, ऊर्जा विभाग का प्रस्ताव

रांची : झारखंड में ट्रांसमिशन लाइन व ट्रांसमिशन टावर के लिए जमीन देने वाले भूस्वामियों को अब मुआवजा मिलेगा. भूमि देने के बावजूद भूमि पर मालिकाना हक भूदाता का ही रहेगा. ऊर्जा विभाग ने ट्रांसमिशन लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण की नयी नीति का प्रस्ताव तैयार किया है. इसे कैबिनेट की अगली बैठक में रखे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 19, 2017 7:35 AM
रांची : झारखंड में ट्रांसमिशन लाइन व ट्रांसमिशन टावर के लिए जमीन देने वाले भूस्वामियों को अब मुआवजा मिलेगा. भूमि देने के बावजूद भूमि पर मालिकाना हक भूदाता का ही रहेगा. ऊर्जा विभाग ने ट्रांसमिशन लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण की नयी नीति का प्रस्ताव तैयार किया है. इसे कैबिनेट की अगली बैठक में रखे जाने की संभावना है.
कुल रकम का 85% मिलेगा मुआवजा
सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव में यह प्रावधान किया गया है कि ट्रांसमिशन टावर या लाइन के लिए जो लोग भी जमीन देेंगे, उन्हें जमीन की बाजार दर के अनुरूप भुगतान किया जायेगा. बाजार दर से जमीन की जो कीमत तय की जायेगी, उसके 85 फीसदी हिस्से का भुगतान जमीन दाता को किया जायेगा. उन्हें केवल कांट्रैक्ट पर साइन करना होगा. बाकी जमीन पर मालिकाना हक जमीन दाता का ही रहेगा. उनका नाम ट्रांसफर सरकार नहीं करायेगी. इससे जमीन का स्वामित्व जमीन मालिक का ही बना रहेगा.

वहीं जिनकी जमीन के ऊपर से ट्रांसमिशन लाइन गुजरेगी,उन्हें भी निर्धारित क्षेत्रफल के हिसाब से मुआवजा दिया जायेगा. मुआवजा लेने के बाद भी जमीन मालिक उस जमीन पर खेती या अन्य कार्य कर सकेगा. वर्तमान में झारखंड में ट्रांसमिशन लाइन के लिए जमीन लेने पर किसी प्रकार के मुअावजे का प्रावधान नहीं है. इसके चलते किसान या रैयत अपनी भूमि नहीं देना चाहते हैं. जानकार बताते हैं कि मुआवजे के प्रावधान से रैयत जमीन देने के लिए आगे आयेंगे, क्योंकि उनसे जमीन का मालिकाना हक नहीं लिया जा रहा है. यह प्रावधान होने से वर्तमान में लंबित 60 से अधिक ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण में तेजी आयेगी. ये लाइनें जमीन की वजह से ही लंबित हैं.

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