मंगलवार को पत्रकारों को संबोधित करने हुए श्री दत्त ने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य सरना-सनातन धर्म पर आस्था रखने वालों में सामाजिक समरसता का भाव निर्माण करना, जनजाति समाज के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के साथ उनकी रीति-रिवाज व परंपरा की सुरक्षा हेतु जागरुक करना, जनजातियों की भूमि की सुरक्षा, अवैध हस्तानांतरण एवं सामूहिक वनाधिकार का लाभ ग्रामवासियों को प्राप्त कराना आदि है.
सत्येेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य में 32 जनजातियां हैं, जिसमें 28 जनजातियों तक वनवासी कल्याण केंद्र की पहुंच हो गयी है. अन्य से बातचीत हो रही है. हमारा प्रयास अादिवासियों का विकास है. सरकार की योजनाएं लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है. मौके पर मोहन सिंह मुंडा एवं डॉ एचपी नारायण भी मौजूद थे.