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RANCHI : 250 लीटर पानी व 200 किलो खाने की तलाश में गांवों में गूंज रही गजराज की चिंघाड़

शहर के आसपास बढ़ी गतिविधियां, हर चार-पांच दिन में कर रहे नुकसान मनोज सिंह manoj.singh@prabhatkhabar.in रांची : रांची के आसपास हाथियों की गतिविधियां बढ़ गयी है. 14 सितंबर को नामकुम में प्लांडू के आसपास हाथियों के झुंड ने भारी नुकसान किया. प्लांडू स्थित उद्यान विभाग के रिसर्च सेंटर के कुछ खेतों को भी नुकसान पहुंचाया. […]

शहर के आसपास बढ़ी गतिविधियां, हर चार-पांच दिन में कर रहे नुकसान
मनोज सिंह
manoj.singh@prabhatkhabar.in
रांची : रांची के आसपास हाथियों की गतिविधियां बढ़ गयी है. 14 सितंबर को नामकुम में प्लांडू के आसपास हाथियों के झुंड ने भारी नुकसान किया. प्लांडू स्थित उद्यान विभाग के रिसर्च सेंटर के कुछ खेतों को भी नुकसान पहुंचाया. इसमें 14 हाथियों का झुंड था. इसी दिन राजधानी से करीब आठ से 10 किमी दूर सिकिदरी में भी हाथियों ने बाउंड्री तोड़ी और फसलों को नुकसान पहुंचाया. 12 सितंबर को हाथियों के झुंड ने अनगड़ा के नवागढ़, गेतलसूद, हरातू और कुच्चू में घरों को तोड़ दिया.
ग्रामीणों का दावा था कि करीब 17 हाथियों का झुंड इस इलाके में घूम रहा है. एक हाथी को प्रतिदिन 250 लीटर पानी और करीब 200 किलो खाना चाहिए. इसकी तलाश में हाथी गांव की ओर आ जाते हैं. राजधानी के आसपास हाथियों की इस तरह की गतिविधियों कभी भी शहर को नुकसान पहुंचा सकती है. पूरे राज्य में पिछले 10 साल में करीब 590 लोगों को हाथी मार चुके हैं.
सितंबर में यहां हुई घटनाएं
चार सितंबर : बेड़ो के खिरदा टुकू टोली में हाथियों ने घर तोड़ा और फसलों को नुकसान पहुंचाया
आठ सितंबर : बेड़ो में किसानों के धान के खेत को रौंद डाला, सिकिदिरी में 18 हाथियों का झुंड देखा गया
12 सितंबर : अनगड़ा में 17 हाथियों के झुंड ने घरों को तोड़ा
14 सितंबर : नामकुम और सिकिदरी में हाथियों ने बाउंड्री तोड़ी, फसलों को नुकसान पहुंचाया
17 सितंबर : नामकुम के हहाप में हाथियों ने घर गिरा दिया
23 सितंबर : कर्रा में हाथी ने अर्जुन खलखो को कुचल दिया
27 सितंबर : लापुंग के फतेहपुर गांव में फसल बर्बाद कर दिया
विशेषज्ञ कहते हैं
हाथियों के साथ-साथ लोगों की जान बचाना भी जरूरी
नवाब शहफत अली खान देश के जाने माने शूटर हैं. शौक को अपने पेशे से जोड़नेवाले श्री खान अब तक दर्जनों जानवरों को ट्रैंकुलाइज (बेहोश कर पकड़ना) कर चुके हैं. कई जानवरों को सरकारी आदेश से मार चुके हैं
उनका मानना है कि झारखंड के हाथियों का नेचर अलग है. हाल ही में साहेबगंज में एक हाथी को मारा था. उनका मानना है कि लोग हाथियों के हैबीटेट को नुकसान पहुंचा रहे हैं. जंगलों में उनको खाना नहीं मिल रहा है. इस कारण हाथी गांवों में आ जा रहे हैं. एक हाथी को प्रतिदिन 250 लीटर पानी और करीब 200 किलो खाना चाहिए. इसकी तलाश में हाथी गांव की ओर आ जाते हैं. हाथियों की संख्या भी बढ़ रही है.
बचाने के नये उपाय पर हो रहे हैं काम
श्री खान कहते हैं कि हाथियों से बचाव की कई नयी तकनीक आयी है. मेरा आवास मैसूर में जंगलों के बीच में है. आज तक एक भी हाथी नहीं आया है. मेरे द्वारा किये गये प्रयोग को कई राज्य अपना रहे हैं. गांव के प्रवेश मार्ग के चारों ओर बैटरी संचालित करंट का प्रवाह किया जा सकता है.
इससे हाथी को नुकसान नहीं होगा. इसी बैटरी संचालित करंट में घंटी को भी जोड़ा जा सकता है. जैसे ही हाथी इसके संपर्क में आयेगा, हाथी करंट के झटके से भाग जायेगा. घंटी भी बज जायेगी. इससे लोगों को सूचना भी मिल जायेगी. इस बैटरी को सोलर से चार्ज किया जाता है. इस पर बहुत खर्च भी नहीं होता है. गांव वाले इसको अपने पैसे से भी लगा सकते हैं.
विभागीय अधिकारी कहते हैं
वन विभाग के मुख्य वन्य प्रतिपालक लाल रत्नाकर सिंह का कहना है कि झारखंड में जंगली जानवरों से मौत का अधिकतर मामला हाथियों से जुड़ा हुआ है. औसतन हर साल करीब 60 लोगों की मौत हाथियों से होती है.
इसको कम करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए कई तरह के प्रयास किये गये हैं. हाथियों को ट्रैक करने के लिए एक एप विकसित किया गया है. बचाव दल का गठन सभी गांव में किया गया है. लोगों को प्रशिक्षित और जागरूक भी किया जाता है. पिछले साल करीब करीब पांच करोड़ रुपये मुआवजा में बांटे गये थे. झारखंड में जंगली-जानवरों और आदमी में होने वाले टकराव को देखते हुए सरकार ने क्षतिपूर्ति राशि बढ़ा दी है. अब जंगली जानवरों के किसी व्यक्ति पर मौत पर 2.5 लाख रुपये दिये जाने का प्रावधान किया गया है.
मुआवजे की वर्तमान राशि (रुपये में)
क्षति का प्रकार मुआवजा राशि
मनुष्य की मृत्यु पर चार लाख
गंभीर घायल होने पर एक लाख
साधारण घायल होने पर 15 हजार
स्थायी रूप से अपंग होने पर दो लाख
पूर्ण रूप से क्षति ग्रस्त मकान 1.30 लाख
गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त मकान (पक्का) 40 हजार
गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त मकान (कच्चा) 20 हजार
साधारण रूप से क्षतिग्रस्त मकान 10 हजार
भंडारित अनाज 1600 प्रति क्विंटल व अधिकतम आठ हजार
भैंस, गाय व बैल की मृत्यु पर 15 से 30 हजार
बछड़े या बाछी की मौत पर पांच हजार
फसल की क्षति पर 20 से 40 हजार तक
पिछले 10 साल में हाथियों से हुई मौत (लाख रुपये में)
वर्ष मौत मुआवजा
2007-08 64 61.93
2008-09 63 56.17
2010-11 54 53.93
2011-12 69 67.2
2012-13 62 67.2
वर्ष मौत मुआवजा
2013-14 60 91.17
2013-14 56 109.28
2014-15 53 107.5
2015-16 66 184.4
2016-17 42 ….

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