इसके बावजूद चास नगर निगम के पदाधिकारियों ने योजनाओं के लिए अपने पार्षदों को अग्रिम दिया. ऑडिट में पाया गया कि निगम के अधिकारियों ने 2012-16 के बीच पार्षदों को कुल 1.89 करोड़ रुपये का अग्रिम दिया. हालांकि कि अब तक किसी भी पार्षद ने इस अग्रिम से पूरी की गयी योजनाओं और खर्च का ब्योरा नहीं दिया है. सरकार ने पार्षदों को अग्रिम दिये जाने के मामले में एजी की आपत्तियों को स्वीकार कर लिया है.
साथ ही इस मामले में उचित कार्रवाई करने की बात कही है. रिपोर्ट में धनबाद नगर निगम की चर्चा करते हुए कहा गया है कि निगम के अधिकारियों ने आदर्श ग्राम विकास संस्थान नामक एनजीओ को राजीव आवास योजना के तहत 87.65 करोड़ रुपये का काम आबंटित किया. उसे इस योजना के तहत 1983 इकाई सेप्टिक टैंकों का निर्माण करना था. ऑडिट के दौरान पाया गया कि नगर आयुक्त ने 2.65 करोड़ रुपये के काम के बदले 5.50 करोड़ रुपये का भुगतान किया. साथ ही काम के मुकाबले 2.85 करोड़ के किये गये अधिक भुगतान को अग्रिम मान लिया. अगस्त 2014 से काम बंद होने की वजह से अब तक इस अग्रिम का समायोजन नहीं हुआ है. काम बंद करने के बाद निगम की ओर से इस राशि की वसूली भी नहीं की गयी है.