राज्य आइएमए के कोषाध्यक्ष डॉ बीपी कश्यप ने कहा कि सरकार अस्पतालों में उपयोग होने वाले कई क्षेत्राें को जीएसटी में शामिल कर दी है. अस्पताल में दवा दुकान, पैथोलॉजी जांच का किसी से अनुबंध है, तो संचालक को जीएसटी देना पड़ता है. हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ संजय कुमार ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों का काफी पद खाली है, पहले उसे भरा जाये. इसके बाद डॉक्टरों पर शिकंजा कसा जाये. मौके पर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अजय कुमार, डॉ सीबी सिन्हा, डॉ आरसी झा, डॉ राजेश कुमार, डॉ अनंत सिन्हा, डॉ नितेश प्रिया, डॉ रितेश रंजन, डॉ रोहित लाल, डॉ राजीव कुमार, डॉ चंद्रशेखर सहित कई चिकित्सक मौजूद थे.
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आइएमए के राष्ट्रीय अाह्वान पर राज्यभर में डॉक्टरों ने दिया धरना, उठायी मांग बिना जांच डॉक्टरों पर नहीं हो प्राथमिकी
राष्ट्रीय आइएमए के अाह्वान पर सोमवार को राज्य भर के डॉक्टरों ने रांची स्थित आइएमए मुख्यालय पर धरना दिया. डॉक्टर बिना जांच के प्राथमिकी किये जाने का विरोध कर रहे थे. गांधी जयंती की वजह से सोमवार को सरकारी अस्पतालों में अोपीडी सेवा बंद थी. वहीं, आइएमए के राज्य सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने कहा […]
राष्ट्रीय आइएमए के अाह्वान पर सोमवार को राज्य भर के डॉक्टरों ने रांची स्थित आइएमए मुख्यालय पर धरना दिया. डॉक्टर बिना जांच के प्राथमिकी किये जाने का विरोध कर रहे थे. गांधी जयंती की वजह से सोमवार को सरकारी अस्पतालों में अोपीडी सेवा बंद थी. वहीं, आइएमए के राज्य सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि डॉक्टरों के इस सत्याग्रह में मरीजों को परेशानी न हो इसके लिए इमरजेंसी को भी प्रभावित नहीं किया गया है.
रांची : राजधानी के करमटोली चौक स्थित अाइएमए भवन में दिन के 11 बजे दर्जनों डॉक्टर एकत्र हुए और धरना दिया. आइएमए के राज्य सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि हम शांतिपूर्वक विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का राज्य में उल्लंघन हो रहा है. माननीय न्यायालय ने आदेश दिया है कि लापरवाही का आरोप लगने के बाद कमेटी गठित कर जांच करायी जाये, इसके बाद डॉक्टर पर प्राथमिकी हो. राज्य सरकार जिला मुख्यालयों में प्रशासनिक अधिकारियों काे इस संबंध में निर्देश जारी करें. झासा के सचिव डॉ विमलेश सिंह ने कहा कि जब डॉक्टर स्वस्थ माहौल में होंगे तो मरीजों का इलाज बेहतर होगा.
अस्पतालों से बिजनेसमैन जैसा व्यवहार कर रही सरकार : आइएमए के जिलाध्यक्ष डॉ संजय कुमार ने कहा कि सरकार चिकित्सा को सेवा का कार्य मानती है, लेकिन अस्पतालों से बिजनेसमैन की तरह व्यवहार करती है. बिजली, पानी आदि का व्यावसायिक दर लिया जाता है. ऐसे में जब सरकार डॉक्टर को जब व्यापारी समझती है, तो सेवा भाव कैसे हो सकता है? जिला सचिव डॉ अमित मोहन ने कहा कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट सही मायने में पेसेंट प्रोटेक्शन एक्ट है, जिसको सरकार को समझना चाहिए.
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