इसके अच्छे परिणाम की उम्मीद है. इसके लिए अब तक 24 पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया है. राज्य के 430 पशु चिकित्सालयों और औषधालयों में कुत्तों का टीकाकरण किया जा रहा है. इस बीमारी से ग्रसित पशुओं के नियंत्रण के उपाय भी किये जा रहे हैं.
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कुत्तों की जन्म दर नियंत्रण के लिए काम कर रहा है विभाग
रांची : झारखंड को रेबीज मुक्त करने की दिशा में रोड मैप तैयार करने को लेकर सोमवार को होटल रेडिशन ब्लू में कार्यशाला हुई. इस मौके पर पशुपालन विभाग के निदेशक विजय कुमार सिंह ने देश-विदेश से रेबीज के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को आश्वस्त किया कि पशुपालन विभाग कुत्तों की जन्म दर […]
रांची : झारखंड को रेबीज मुक्त करने की दिशा में रोड मैप तैयार करने को लेकर सोमवार को होटल रेडिशन ब्लू में कार्यशाला हुई. इस मौके पर पशुपालन विभाग के निदेशक विजय कुमार सिंह ने देश-विदेश से रेबीज के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को आश्वस्त किया कि पशुपालन विभाग कुत्तों की जन्म दर पर नियंत्रण को लेकर काम कर रहा है.
राजधानी रांची में रेबीज से इस वर्ष एक भी मौत नहीं
मिशन रेबीज इंटरनेशनल की निदेशक डॉ केट शेरवाल ने कहा कि रांची में 2014 से मिशन रेबीज कार्यक्रम चल रहा है. तीन साल की अवधि में रांची रेबीज मुक्त होने की ओर है. 2014 और 2015 में तीन-तीन लोगों की मौत रेबीज से हुई थी. 2016 में एक की मौत रेबीज से हुई. 2017 में अब तक एक भी मौत रेबीज से नहीं हुई है. रांची में आदमी व कुत्तों का अनुपात 30:01 है. इस साल अब तक करीब 23247 कुत्तों का टीकाकरण और स्टरलाइज किया गया है. 2015 में 71.5 और 2016 में 72 फीसदी कुत्तों का टीकाकरण हुआ था.
इस साल अब तक 38 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा
स्वास्थ्य विभाग के डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा कि जानवर से काटने का असर किसी भी मनुष्य में छह दिन से लेकर छह साल तक रिकाॅर्ड किया गया है. छह साल वाले मामले एक फीसदी से भी कम हैं. 2017 में अब तक झारखंड में करीब 38 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा था. 2010 में यह संख्या 58 हजार थी. पूरे देश में हर साल करीब 20 हजार लोगों की मौत कुत्ते के काटने से होती है. इससे पूर्व विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ गजेंद्र गोयल ने कहा कि रेबीज रोकने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी है. इसमें सामाजिक भागीदारी से ही जागरूकता फैल सकती है. इसमें कई विदेशी प्रतिभागियों ने भी हिस्सा लिया. आयोजन में मिशन रेबीज, डॉग ट्रस्ट, एमएसडी एनीमल हेल्थ, पशुपालन विभाग, झारखंड वेटनरी एसोसिएशन, वर्ल्ड वेटनरी सर्विस आदि संस्था ने सहयोग किया.
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