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मुख्य सचिव और डीजीपी ने अपराध नियंत्रण और विधि व्यवस्था पर दिया निर्देश, कहा सांप्रदायिक घटनाएं होने पर डीसी- एसपी होंगे जिम्मेवार

रांची : मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और डीजीपी डीके पांडेय ने अपराध नियंत्रण व विधि व्यवस्था बहाल रखने के लिए राज्य के सभी जिलों के उपायुक्त एवं एसपी को दिशा-निर्देश जारी किया है. कहा है कि डीसी और एसपी की सबसे अहम प्राथमिकता अपराध नियंत्रण होना चाहिए. किसी जिले में कोई सांप्रदायिक घटना होने पर […]

रांची : मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और डीजीपी डीके पांडेय ने अपराध नियंत्रण व विधि व्यवस्था बहाल रखने के लिए राज्य के सभी जिलों के उपायुक्त एवं एसपी को दिशा-निर्देश जारी किया है. कहा है कि डीसी और एसपी की सबसे अहम प्राथमिकता अपराध नियंत्रण होना चाहिए. किसी जिले में कोई सांप्रदायिक घटना होने पर सरकार उसे अत्यंत गंभीरता से लेगी.

जिलों के संभावित क्षेत्रों को पूरी तरह सेनेटाइज किया जाये. असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई की जाये. पूर्व के अभियुक्त तथा संभावित लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाये. उन्होंने कहा कि गो-रक्षा के नाम पर आपराधिक घटनाओं पर जीरो टॉलरेंस जारी रहेगा. राज्य सरकार अपराध करनेवालों के विरुद्ध पूरी कड़ाई एवं सख्ती से पेश आयेगी.


दोनों अधिकारियों ने सभी जिलों के डीसी, एसपी के साथ वीडियो कांफ्रेंस कर प्रत्येक थाना में अापराधिक गिरोह, संवेदनशील स्थल और अपराध संभावित क्षेत्र की प्रोफाइल तैयार करने को कहा है. लंबित वारंटों पर तुरंत अमल करने, कुर्की के मामले निष्पादित करने व सीसीए लगाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि राज्य को अपराधमुक्त बनाने के लिए अपराधियों में पुलिस का खौफ और आम जनता में विश्वास पैदा करना होगा. मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी वकीलों के साथ प्रत्येक महीने लंबित क्रिमिनल वादों की समीक्षा होनी चाहिए. संवदेनशील और जघन्य अपराध के वादों को फास्ट ट्रैक स्पीडी ट्रायल होना चाहिए. जेलों में नियमित अंतराल पर छापेमारी सुनिश्चित होनी चाहिए. अपराधियों का ई-प्रोडक्शन, ई-ट्रायल व ई-मुलाकात पूरी तरह लागू होना चाहिए. बैठक में सभी कुख्यात अपराधियों को अन्यत्र जेल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया. कहा गया कि आरोपी बंदी को न्याय मिलने तक आत्मानुभूति और संयमित जीवन की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिले. परंतु, जेल में अपराधियों को यह महसूस होना चाहिए कि उन्होंने गलत किया है. उनको पश्चाताप होना चाहिए, जिससे वह भविष्य में बेहतर नागरिक बन सके.

मुख्य सचिव ने इंटेलिजेंस सूचना को अपराध नियंत्रण में कारगर बताया. कहा कि चौकीदार, विशेष शाखा के पदाधिकारी व अन्य माध्यमों से प्राप्त सूचना को गंभीरता से लिया जाये. डीजीपी ने कहा कि दैनिक गश्ती, सभी लॉज, होटल की नियमित चेकिंग और जुआ-शराब के अवैध अड्डे पर लगातार छापेमारी कर अपराध करने वालों के प्रति सख्ती से पेश आना होगा. ठोस सामाजिक संपर्क कायम करना होगा. स्थानीय मानकी, मुंडा, मांझी, मुखिया के साथ मोहल्ला समितियां आदि को सक्रिय कर स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ानी होगी.
अपराध को तीन श्रेणियों में बांटा
मुख्य सचिव और डीजीपी ने अपराध को तीन श्रेणियों में बांट कर निर्देश दिये. पहली श्रेणी में आर्थिक अपराध, भूमि कारोबार, अवैध शराब, अवैध खनन, अवैध बालू, कोयला व्यापार, चिटफंड आदि को रखा गया. दूसरी श्रेणी में डायन प्रथा, बच्चों की दलाली कर अन्यत्र भेजना, अवैध संस्थाओं और गांव के बिचौलियों को चिह्नित करना जैसे सामाजिक अपराध को रखा गया. वहीं, तीसरी श्रेणी में सांप्रदायिक घटनाओं को रखा गया है.

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