इस तरह वाणिज्यकर वसूली पर होनेवाले खर्च में पहले के मुकाबले 0.06 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी. दूसरी तरफ अखिल भारतीय स्तर पर वाणिज्यकर वसूली पर 0.91 प्रतिशत खर्च हुआ. यानी राज्य में वाणिज्यकर वसूली पर होनेवाला खर्च राष्ट्रीय औसत से कम रहा. उत्पाद विभाग ने राजस्व वसूली पर वर्ष 2014-15 में हुई कुल वसूली का 1.98 प्रतिशत खर्च किया, जबकि 2015-16 में यह बढ़ कर 2.08 प्रतिशत हो गया. फिर भी यह उत्पाद से राजस्व वसूली पर होनेवाले खर्च से कम रहा. 2015-16 में उत्पाद से राजस्व वसूली के खर्च का राष्ट्रीय औसत 2.09 प्रतिशत रहा.
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राज्य के राजस्व में सालाना औसतन 13.35 प्रतिशत की दर से वृद्धि, वाणिज्य कर का योगदान करीब 78 प्रतिशत
रांची: पिछले पांच वर्षों के दौरान राज्य के राजस्व में सालाना औसतन 13.35 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की गयी है. इस अवधि में टैक्स वसूली पर होनेवाले खर्च में भी कमी आयी है. सिर्फ उत्पाद और वाहनों की टैक्स वसूली पर होनेवाला खर्च थोड़ा बढ़ा है. महालेखाकार के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष […]
रांची: पिछले पांच वर्षों के दौरान राज्य के राजस्व में सालाना औसतन 13.35 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की गयी है. इस अवधि में टैक्स वसूली पर होनेवाले खर्च में भी कमी आयी है. सिर्फ उत्पाद और वाहनों की टैक्स वसूली पर होनेवाला खर्च थोड़ा बढ़ा है.
महालेखाकार के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य को अपने स्रोतों से 11479 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था. इसमें से वाणिज्यकर विभाग ने 8999 करोड़ रुपये की वसूली की थी. इस तरह राज्य की आमदनी में वाणिज्यकर कर का योगदान 78 प्रतिशत था. राज्य के राजस्व में परिवहन ने छह प्रतिशत, उत्पाद ने आठ प्रतिशत का योगदान किया. वाणिज्यकर के राजस्व में वृद्धि का कारण बेहतर कर प्रशासन और बकाये की वसूली रही. भारत निर्मित विदेशी शराब पर शुल्क बढ़ाये जाने से उत्पाद विभाग के राजस्व में वृद्धि हुई. सरकार द्वारा महालेखाकार के उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014-15 के दौरान वाणिज्यकर वसूली पर विभाग से मिले राजस्व का 0.59 प्रतिशत खर्च हुआ था, जबकि वर्ष 2015-16 में 0.53 प्रतिशत खर्च हुआ.
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