अश्विनी राजगढ़िया ने बताया कि उन्होंने कई बार अखबारों में ऐसी खबरें पढ़ीं, जिसमें मृतक का शव घर तक ले जाने में उनके परिजन को काफी दुश्वारियों को सामना करना पड़ा. इस पर श्री राजगढ़िया और उनकी पत्नी ने कुछ ऐसा करने का मन बनाया, जिससे शवों को ससम्मान घर तक पहुंचाया जा सके. बात आगे बढ़ी, तो उन्होंने अपने दोस्तों से इस संबंध में बात की. उनके प्रस्ताव रखने की देर थी और उनके दोस्त तुरंत इसके लिए तैयार हो गये.
श्री राजगढ़िया के प्रयास से 12 युवाओं की टीम ने जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशनकी स्थापना की है. शवों को अस्पतालों से घर तक पहुंचाने के लिए फाउंडेशन मुफ्त में शव वाहन उपलब्ध करायेगा. पहले चरण में दो या तीन शव वाहन खरीदे जायेंगे. शव वाहन सेवा की शुरुआत राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स से होगी. मृतक मरीज के परिजन की मांग पर फाउंडेशन उन्हें मुफ्त वाहन उपलब्ध करायेगा. परिजनों को दिक्कत नहीं हो, इसके लिए शव वाहन में पानी की बातलें व सफेद चादर के अलावा फोन की सुविधा भी दी जायेगी. राजधानी में इस सेवा के सफल होने पर इसे पूरे राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में शुरू किया जायेगा.