रांची : झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को पहाड़ों के गायब होने व अवैध माइनिंग को लेकर दायर जनहित याचिकाअों पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए पूर्व के आदेश के अालोक में जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जतायी. कहा कि कोर्ट ने जिन बिंदुअों पर सरकार से जवाब मांगा था, उस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गयी है.
खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि सर्वे में आइएसएम धनबाद, रिसर्च एसोसिएट का सहयोग लेंगे, तो यह जानकारी मिल सकेगी कि झारखंड के पास कितना मिनरल्स है, कितना उत्पादन होता है, कितना उत्पादन किया जाये, ताकि लोगों की जरूरतें भविष्य में भी पूरी होती रहे. खंडपीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या भावी पीढ़ी के लिए मिनरल्स बचा कर रखने की कोई नीति बनायी गयी है? खंडपीठ ने राज्य सरकार को कोर्ट के निर्देश के अनुसार जवाब दाखिल करने के लिए समय प्रदान किया.
विगत ढाई वर्षों में राज्य सरकार हर क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रही है. सरकार राज्य को मजबूती की अोर ले जा रही है. एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखते हुए सरकार के जवाब काे अधूरा व अस्पष्ट बताया. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने भी पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि पहाड़ों के गायब होने से संबंधित प्रभात खबर में प्रकाशित समाचार को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. वहीं अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने हजारीबाग में अवैध माइनिंग को लेकर जनहित याचिका दायर की है. कामता प्रसाद ने भी जनहित याचिका दायर की है. सभी याचिकाअों पर एक साथ सुनवाई हो रही है.