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बाहर से पहुंच गये साहित्यकारों के लिए हुई गोष्ठी, मंत्रमुग्ध हुए लोग

रांची: अपरिहार्य कारणों से झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच का स्वर्ण जयंती उत्सव जो नौ सितम्बर को सुनिश्चित था, उसे स्थगित कर दिया गया. अखिल भारतीय स्तर के 15 साहित्यकार जो विभिन्न स्थानों से आमंत्रित थे, उन्हें समय पर सूचना न मिलने पर इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए पहुंच गये. उनमें डॉ बुद्धिनाथ […]

रांची: अपरिहार्य कारणों से झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच का स्वर्ण जयंती उत्सव जो नौ सितम्बर को सुनिश्चित था, उसे स्थगित कर दिया गया.

अखिल भारतीय स्तर के 15 साहित्यकार जो विभिन्न स्थानों से आमंत्रित थे, उन्हें समय पर सूचना न मिलने पर इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए पहुंच गये. उनमें डॉ बुद्धिनाथ मिश्र (देहरादून), राश दादा राश (बेंगलुरू), शंभुशरण नवीन (मुंबई), डॉ शैलेश पंडित (दिल्ली), श्रीराम दुबे (बलिया,धनबाद), पंकज सरोज (सासाराम), रामेश्वर मिश्र बिहान, रामेश्वर प्रसाद वर्मा एवं शिव बहादुर पांडेय प्रीतम (गाजीपुर, बक्सर) शामिल हैं. इनके सम्मान में एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन पलाश सभागृह में शनिवार को संपन्न हुआ, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि 12 नंबर 2017 को इस उत्सव को आयोजित किया जाये.

जंगल से आया है समाचार कट जायेंगे सारे देवदार : साहित्यिक गोष्ठी स्थानीय रचनाकारों के साथ बाहर के रचनाकारों ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं के दिल जीता. श्रीराम दुबे ने, वो और होंगे जो जुगनुओं को कैद करते हैं… के साथ चार मुक्तक सुनाये. राश दादा राश ने मैं दर्द के घुंघरू बजाता रहा सुना कर खूब तालियां बटोरीं. अंत में नवगीत के पुरोधा डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने जंगल से आया है समाचार कट जायेंगे सारे देवदार तथा मुक्तकों के पश्चात अपना प्रसिद्ध गीत, एक और बार जाल फेंक रे मछेरे सुनाकर सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया. इस दौरान मंच के संरक्षक न्यायमूर्ति विक्रमादित्य प्रसाद, अध्यक्ष कामेश्वर श्रीवास्तव, सुनील सिंह बादल सहित अन्य लोग उपस्थित थे.

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