साथ ही लिये गये निर्णयों से कोर्ट को भी अवगत कराया जाये. खंडपीठ का मानना था कि उनकी सेवा के स्थायीकरण के लिए जो भी संभव होता है, वह सरकार करे. राज्य में लगभग 80,000 पारा शिक्षक कार्यरत हैं. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच अक्तूबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थियों की अोर से वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन व अन्य अधिवक्ताअों ने दलील दी कि पारा शिक्षक पिछले कई वर्षों से लगातार कार्यरत हैं तथा पठन-पाठन का कार्य कर रहे हैं.
शैक्षणिक अर्हता के साथ ट्रेंड भी हैं. उनकी सेवा नियमित करने के लिए राज्य सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया. वहीं, राज्य सरकार की अोर से अपर महाधिवक्ता जयप्रकाश ने खंडपीठ को बताया कि पारा शिक्षक योजना के तहत काम कर रहे हैं. योजना में काम करनेवालों को नियमित नहीं किया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुनील कुमार यादव, रंजीत कुमार जायसवाल, श्याम नंदन कुमार एव अन्य की अोर से अलग-अलग याचिका दायर कर सेवा नियमित करने की मांग की गयी है.