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शराब बेचने की नौकरी के लिए देने पड़ रहे हैं 25 हजार

रांची : राज्य सरकार की शराब दुकानों में नौकरी करनेवाले को 25 हजार रुपये देने पड़ रहे हैं. यह राशि दुकानों के संचालन के लिए मैनपॉवर उपलब्ध कराने के लिए चयनित कंपनियों में से एक फ्रंटलाइन एनसीआर बिजनेस सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड वसूल रही है. कंपनी द्वारा राज्य की शराब दुकानों में सेल्समैन की नौकरी देने […]

रांची : राज्य सरकार की शराब दुकानों में नौकरी करनेवाले को 25 हजार रुपये देने पड़ रहे हैं. यह राशि दुकानों के संचालन के लिए मैनपॉवर उपलब्ध कराने के लिए चयनित कंपनियों में से एक फ्रंटलाइन एनसीआर बिजनेस सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड वसूल रही है. कंपनी द्वारा राज्य की शराब दुकानों में सेल्समैन की नौकरी देने के लिए सिक्यूरिटी डिपोजिट के नाम पर 25-25 हजार रुपये लिये जा रहे हैं.

राज्य में शराब दुकानों के लिए मैनपॉवर का काम दो कंपनियों को दिया गया है. फ्रंटलाइन एनसीआर बिजनेस सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड और शोमुख. हालांकि, केवल फ्रंटलाइन द्वारा ही सिक्यूरिटी डिपोजिट की वसूली की जा रही है. शोमुख द्वारा नौकरी पर रखने के एवज में कोई राशि नहीं ली जा रही है. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि फ्रंटलाइन के जिम्मे राज्य की लगभग 70 फीसदी दुकानों में मैनपॉवर उपलब्ध कराना है. शोमुख को करीब 30 प्रतिशत दुकानों में ही मैनपॉवर सुलभ कराने का काम मिला है.

सिक्यूरिटी डिपॉजिट के नाम पर मिलेंगे तीन करोड़ रुपये

कॉरपोरेशन ने राज्य में 600 शराब की दुकानें खोलने का लक्ष्य रखा है. इनमें से 70 फीसदी यानी 420 दुकानों में फ्रंटलाइन द्वारा सिक्यूरिटी डिपोजिट देकर मैनपॉवर बहाल किया जायेगा. एक दुकान में कम से कम तीन लोगों को काम पर रखा जाना है. इस तरह 25-25 हजार रुपये सिक्यूरिटी डिपोजिट के रूप में कंपनी के पास तीन करोड़ से अधिक जमा हो जायेगा. मालूम हो कि पहली अगस्त से अब तक राज्य भर में शराब की 375 सरकारी दुकानें खुल चुकी हैं. इसके अलावा निकट भविष्य में खुलने वाली 460 दुकानों का एग्रीमेंट हो गया है.

दलालों का गरोह भी सक्रिय

शराब की दुकानों में नौकरी दिलाने के नाम पर राज्य में दलालों का गिरोह भी सक्रिय है. सूचना है कि शराब के सेल्समैन की नौकरी के लिए 40 हजार रुपये तक मांगे जा रहे हैं. नौकरी के इच्छुक लोगों के बीच सरकारी शराब की दुकानों में नौकरी की बात कह कर प्रचारित किया जा रहा है. इससे लोग सरकारी नौकरी के भ्रम में अासानी से राजी भी हो रहे हैं. मालूम हो कि बिवरेज कॉरपोरेशन द्वारा संचालित दुकानों में मैनपॉवर देने का काम निजी कंपनियों को दिया गया है. इन दुकानों पर काम करने वाले किसी भी तरह से राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं हैं. ऐसे कर्मचारियों की नौकरी स्थायी होने की कोई गारंटी भी नहीं है. कंपनी जब चाहे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा सकती है.

सिक्यूरिटी डिपोजिट के रूप में लिए जा रहे 25-25 हजार रुपये रिफंडेबल हैं. नौकरी छोड़ते ही कर्मचारियों को यह राशि लौटा दी जायेगी. दुकानों पर होने वाले लाखों के माल की खपत की जिम्मेवारी कंपनी पर है. ऐसे में सिक्यूरिटी डिपोजिट लेने में कुछ भी गलत नहीं है. फ्रंटलाइन में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के मामलों की जानकारी हमें भी है. इसमें कंपनी का कोई दोष नहीं है. मामले में फ्रंटलाइन भी आवश्यक कानूनी कार्रवाई कर रही है.

प्रमोद कुमार, सीनियर मैनेजर, फ्रंटलाइन एनसीआर बिजनेस सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड.

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