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विधानसभा में सीएजी की रिपाेर्ट पेश: झारखंड में उत्पादन से 60 हजार क्विंटल अधिक खरीदा गया धान : महालेखाकार

रांची : झारखंड के महालेखाकार सी नेडुन्चेलियन ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 55 प्रखंडों में अब भी खाद्यान्न जमा करने के लिए गोदाम नहीं है. सरकार के पास 2.47 लाख मिट्रिक टन अनाज जमा करने की आवश्यकता के मुकाबले केवल 1.51 लाख एमटी अनाज जमा करने की […]

रांची : झारखंड के महालेखाकार सी नेडुन्चेलियन ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 55 प्रखंडों में अब भी खाद्यान्न जमा करने के लिए गोदाम नहीं है. सरकार के पास 2.47 लाख मिट्रिक टन अनाज जमा करने की आवश्यकता के मुकाबले केवल 1.51 लाख एमटी अनाज जमा करने की ही क्षमता है. 156 प्रखंडों में खाद्यान्न जमा करने के लिए गोदामों की क्षमता मासिक आवंटन के मुकाबले कम है. 17 प्रखंडों में मासिक जरूरत के मुकाबले दोगुनी है. 31 प्रखंडों में आवंटन से ज्यादा है, लेकिन निर्धारित मापदंड से कम. गोदामों के भौतिक निरीक्षण के दौरान कई स्थानों की स्थिति खराब पायी गयी. सरकार की धान खरीद योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि चार जिलों में उत्पादन से 60,000 क्विंटल अधिक धान की खरीद हुई है.
इसकी कीमत 7.49 करोड़ रुपये है. धनबाद व देवघर समेत अन्य जिलों में ट्रकों के बदले स्कूटर पर भी धान ढोने का मामला प्रकाश में आया था. 2013-15 के बीच सरकार द्वारा 524 करोड़ रुपये की व्यवस्था नहीं करने के कारण धान की खरीद नहीं हो सकी. 2011-13 के दौरान 52.17 करोड़ रुपये का धान बगैर जमीन के कागज पर ही खरीद लिये गये. वर्ष 2011-13 के बीच 2445 किसानों के 11.37 करोड़ और 2014-16 के बीच 99.41 करोड़ रुपये के भुगतान में देर करने की वजह से किसानों को बाजार में अपना धान बेचना पड़ा. राज्य सरकार मिलरों से अब तक 83 करोड़ रुपये की वसूली नहीं कर सकी है.
उग्रवाद प्रभावित जिलों के लिए सुरक्षा से संबंधित एसआरइ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत राज्य सरकार ने 5448 करोड़ रुपये खर्च किये. इस खर्च की भरपाई भारत सरकार द्वारा की जानी थी, लेकिन नियम विरुद्ध खर्च की वजह से केंद्र सरकार ने 154.92 करोड़ रुपये के खर्च की भरपाई नहीं की. पुलिसकर्मियों के विशेष प्रशिक्षण पर किये गये 5.55 करोड़ रुपये के खर्च की भरपाई भी भारत सरकार द्वारा की जानी थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसके लिए दावा ही नहीं किया. इसके अलावा 5.98 करोड़ रुपये के गोला-बारूद और हथियार की खरीद से संबंधित राशि भी केंद्र से लेने में राज्य सरकार विफल रही. सरकार आवश्यकता के मुकाबले कार्य योजना नहीं तैयार कर सकी. इसमें उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के युवकों को नक्सल गतिविधियों से दूर रखने की योजना तैयार की जानी थी.
राज्य सरकार द्वारा योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन में तालमेल नहीं होने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि खरकई नदी पर उच्च क्वालिटी का पुल बनाने का काम ग्रामीण विकास विभाग ने शुरू किया. दूसरी तरफ पूर्व निर्धारित योजना के तहत जल संसाधन विभाग द्वारा खरकई बराज का निर्माण किया जा रहा था. पुल निर्माण में 5.60 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद ग्रामीण विकास को अहसास हुआ कि बराज की वजह से पुल का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. इस कारण बड़ी राशि खर्च करने के बाद पुल निर्माण का काम बंद कर दिया गया. इसी तरह देवघर में 1.24 करोड़ रुपये की लागत से सड़क का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन पुल नहीं बनाया गया. जिसकी वजह से पूरी राशि बर्बाद हो गयी.
लोक उपक्रमों की चर्चा करते हुए श्री नेडुन्चेलियन ने कहा कि तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड (टीवीएनएल) के ऑडिट में 2025 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रभाव का मामला प्रकाश में आया है. मार्च 2016 तक टीवीएनएल को 824 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. टीवीएनएल द्वारा उत्पादित बिजली झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने खरीदी है, लेकिन उसने टीवीएनएल को इस मद का बकाया 3083 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है. टीवीएनएल का प्लांट लोड फैक्टर 85 फीसदी के बदले 61 से 79 प्रतिशत के बीच है. पीएलएफ निर्धारित सीमा से कम होने की वजह से इसे 871 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. प्लांट अधिक बार बंद होने की वजह से 409 करोड़ रुपये का उत्पादन प्रभावित हुआ है. टीवीएनएल के उत्पादन में खुद की खपत ज्यादा होने की वजह से 57 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. 10 साल बाद भी 400 किलोवाट का स्विचयार्ड नहीं बनने की वजह से 268 करोड़ रुपये का उत्पादन प्रभावित हुआ है.

359 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद सरकार इस प्लांट का विस्तार नहीं कर सकी. श्री नेडुन्चेलियन ने हाइटेंशन उपभोक्ताओं की चर्चा करते हुए कहा कि बिजली के राजस्व का 52 प्रतिशत हाइटेंशन उपभोक्ताओं से आता है, लेकिन इस क्षेत्र में बिलिंग समेत अन्य प्रकार की खामियां पायी गयी हैं. स्प्रीहा इंडस्ट्रीज पर 52.88 करोड़ रुपये का बकाया है. कोर्ट के आदेश के बाद भी इस राशि की वसूली नहीं की जा सकी है.

श्री नेडुन्चेलियन ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं ने 2011-16 के बीच 130.55 करोड़ रुपये की सड़क, कलबर्ट, पुल आदि के निर्माण का काम शुरू किया, जो उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं था. जिला योजना समिति की बैठक समय पर नहीं होने और वार्षिक कार्य योजना नहीं बनाये जाने की वजह से पंचायती राज संस्थाओं को भारत सरकार से 1129.10 करोड़ रुपये नहीं मिल सके. पंचायती राज संस्थाओं द्वारा 398 योजनाओं का काम पूरा नहीं करने की वजह से 37.46 करोड़ रुपये और 68 योजनाओं में लागत बढ़ने की वजह से 4.65 करोड़ रुपये का बेकार खर्च हुआ. पंचायती राज संस्थाओं ने 124 योजनाओं का काम निर्धारित समय में पूरा नहीं करनेवालों से दंड के रूप में 5.63 करोड़ रुपये की कटौती नहीं की. स्थानीय निकायों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 10 स्थानीय निकायों में से धनबाद, साहेबगंज, मेदिनीनगर में कूड़ा नदी या रिहायशी इलाके के पास फेंका जाता है. निकायों में कहीं भी सिवरेज-ड्रेनेज सिस्टम विकसित नहीं किया जा सका है. स्थानीय निकायों में पेयजलापूर्ति योजना पूरी नहीं होने की वजह से 22.67 लाख लोग प्रभावित हैं.
आवश्यकता के मुकाबले कार्य योजना नहीं तैयार कर सकी
नियम विरुद्ध खर्च की वजह से केंद्र सरकार ने 154.92 करोड़ रुपये के खर्च की भरपाई नहीं की
पुलिसकर्मियों के विशेष प्रशिक्षण पर हुए 5.55 करोड़ रुपये के खर्च की भरपाई भारत सरकार द्वारा की जानी थी, लेकिन राज्य सरकार ने दावा ही नहीं किया
5.98 करोड़ रुपये के गोला-बारूद और हथियार की खरीद की राशि भी केंद्र से लेने में राज्य सरकार विफल
पंचायती राज संस्थाओं को भारत सरकार से 1129.10 करोड़ रुपये नहीं मिल सके
359 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी सरकार टीवीएनएल के प्लांट का विस्तार नहीं कर सकी

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