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नौकरियों में राज्य के नौजवानोें को मिलेगी प्राथमिकता : मुख्यमंत्री

रांची: झामुमो विधायक योगेंद्र महतो ने ध्यानाकर्षण के तहत तेनुघाट परियोजना में नौकरी के लिए निकाली गयी रिक्तियों में विस्थापितों को प्राथमिकता नहीं दिये जाने की बात उठायी. श्री महतो का कहना था कि टीवीएनएल में विभिन्न पदों के लिए रिक्तियां निकाली गयी हैं. प्रशिक्षण प्राप्त विस्थापितों को भी प्राथमिकता नहीं दी जा रही है. […]

रांची: झामुमो विधायक योगेंद्र महतो ने ध्यानाकर्षण के तहत तेनुघाट परियोजना में नौकरी के लिए निकाली गयी रिक्तियों में विस्थापितों को प्राथमिकता नहीं दिये जाने की बात उठायी. श्री महतो का कहना था कि टीवीएनएल में विभिन्न पदों के लिए रिक्तियां निकाली गयी हैं. प्रशिक्षण प्राप्त विस्थापितों को भी प्राथमिकता नहीं दी जा रही है. बाहर के लोगों को रखा गया है. श्री महतो के इस सवाल पर मुख्यमंत्री ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि हमारी सरकार को विस्थापितों की चिंता है. इनको प्रशिक्षण देना है. रोजगार में भी विस्थापितों को प्राथमिकता दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि राज्य में विस्थापित ही नहीं, सभी युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है. स्किल डेवलपमेंट का कार्यक्रम चलाया जा रहा है. राज्य के नौजवानों को नौकरियों में प्राथमिकता दी जायेगी. श्री महतो के सवाल का जवाब देते हुए प्रभारी मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि 462 में से 460 विस्थापितों को नौकरी दी जा चुकी है. प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि स्थानीय विस्थापितों को नौकरियां नहीं दी जा रही हैं. थर्ड ग्रेड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में भी पूरे भारत वर्ष से आवेदन मांगे जाते हैं.
जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं के व्याख्याता का मामला उठा : सदन में ध्यानाकर्षण के तहत झामुमो विधायक दीपक बिरुआ ने जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं के व्याख्याताओं को प्रोन्नति और वेतनमान का लाभ दिये जाने का मामला उठाया. श्री बुरुआ का कहना था कि रांची विश्वविद्यालय के 89 व्याख्याताओं को प्रोन्नति व वेतनमान वृद्धि का लाभ नहीं मिल रहा है. शिक्षा मंत्री नीरा यादव का कहना था कि जेपीएससी की अनुशंसा पर 51 व्याख्याताओं की सेवा समायोजित की गयी. विवि संशोधन विधेयक-2015 में प्रावधान किया जाना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि शोध संस्थान के शिक्षक मिलने आये थे. विभागीय अधिकारियों से चर्चा भी की गयी. मैंने इस मामले में विधि से परामर्श लेने को कहा है.
झामुमो के विधायकों ने बाहर किया प्रदर्शन, अंदर हंगामा
झामुमो विधायकों ने सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामा किया़ विधायक कुणाल षाड़ंगी ने मालबल क्षत्रिय व दंडछत्र मांझी को एसटी की सूची में शामिल करने की मांग की़ उनका कहना था कि ओड़िशा और बंगाल में इन जातियों को एसटी का दर्जा मिल रहा है, लेकिन झारखंड में ये दोनों जातियां सूचीबद्ध नहीं है़ं सरकार दोहरी नीति अपना रही है़
विपक्ष : संशोधन का विरोध हुआ, तो अधिग्रहण कानून से बाइपास बना रहे
विधानसभा के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को सदन की कार्यवाही पहली पाली में बाधित रही. पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक, आरोप-प्रत्यारोप का ही दौर चला. पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की. झामुमो-कांग्रेस के विधायक एक ओर सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन को विधानसभा में निरस्त करने और सरकार का जवाब मांग रहे थे. झामुमो के विधायकों का कहना था कि सीएनटी-एसपीटी का विरोध हुआ, तो भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर बाइपास बना रहे हैं. सरकार व्यापारियों के पक्ष में काम कर रही है. सत्ता पक्ष पर जमीन लूटने का आरोप लगा रहे थे. वहीं, सत्ता पक्ष के भी विधायकों ने झामुमो के खिलाफ मोरचा खोल दिया. विपक्ष पर सदन को हाइजैक करने का अरोप लगाया. सत्ता पक्ष के विरंची नारायण, मनीष जायसवाल, अनंत ओझा, राम कुमार पाहन सहित कई विधायक मार्शल आउट कराने की मांग रहे थे.
पहले हाथ पकड़ा, अब गला पकड़ रहे : हेमंत
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने मामला उठाया कि मीडिया में बातें आ रही है कि सरकार ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट वापस ले लिया है. सरकार के मंत्री सदन के बाहर मीडिया को इसकी जानकारी दी है. सरकार सदन में सीएनटी-एसपीटी विधेयक को रद्द करे. श्री सोरेन ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी का विरोध हुआ, तो भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर बाइपास बना रहे हैं. पहले तो हाथ पकड़ा था, अब गला पकड़ रहे हैं.
एक घाव सूखा नहीं, लगे दूसरा कुरेदने : स्टीफन
विपक्षी विधायक स्टीफन मरांडी ने कहा कि राज्यपाल ने पुनर्विचार करने को कहा है. बाहर में मंत्री कह रहे हैं कि वापस हो गया है. सदन के अंदर सरकार को बताना चाहिए कि वह क्या करना चाहती है. भूमि अधिग्रहण कानून में कहा गया है कि बहुफसली खेती वाली जमीन अधिग्रहित नहीं होगी. सरकार संशोधन कर ऐसी जमीन लेना चाहती है. एक घाव सूखा नहीं है, दूसरा कुरेदने लगे. हम सदन नहीं चलने देंगे, कसम खा कर नहीं आये हैं. लेकिन, सरकार को बताना चाहिए कि वह क्या करना चाहती है.
सरकार गारंटी कैसे दे सकती है : सरयू राय
प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन द्वारा उठाये गये सवाल पर चर्चा करते हुए मंत्री सरयू राय ने कहा कि राज्यपाल का संदेश सुनाया गया है. इस रूप में इस विधेयक पर विचार नहीं किया जायेगा. कोई विधेयक लाना चाहते हैं या नहीं, इसको लेकर सरकार को कैसे बाध्य किया जा सकता है. आज सरकार इसकी कैसे गारंटी दे सकती है कि कोई विधेयक भविष्य में आयेगा या नहीं. सरकार को लगेगा कि अभी इसकी जरूरत नहीं है, तो नहीं लायेगी. प्रतिपक्ष सदन को हाइजैक करना चाहता है.

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