यह समाज को तोड़ने का षडयंत्र है. जबरन धर्मांतरण पर आइपीसी में कार्रवाई का प्रावधान है. सरकार लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता समाप्त करने का प्रयास कर रही है. सरकार बने साढ़े 16 साल हो गये. सरकार को यह बताना चाहिए कि इतनी अवधि में जबरन धर्मांतरण के कितने मामले दर्ज हुए. 1951 से 2011 तक धार्मिक जनगणना में किस धर्म के कितने लोग थे.
इससे पता चल पायेगा कि कितने लोग दूसरे धर्म में गये. क्या सरकार वर्षों से संघर्ष कर रहे आदिवासियों के लिए सरना कोड लागू करेगी. सरकार यह बतायेगी कि आदिवासी कौन सा धर्म मानते हैं. सरकार को यह बताना चाहिए, ताकि आदिवासियों की परंपरा को संरक्षित किया जा सके. मौके पर भाकपा के महेंद्र पाठक और अजय सिंह तथा कांग्रेस के राकेश सिन्हा भी मौजूद थे.
बाद में दो कुरसी हटा दी गयी. करीब 10 मिनट इंतजार के बाद प्रेस वार्ता शुरू हुई. प्रेस को श्री मरांडी ने संबोधित किया. राकेश सिन्हा ने स्वागत किया. भाकपा के कार्यालय सचिव अजय सिंह और महेंद्र पाठक ने बोलने से इनकार कर दिया. कांग्रेस, झाविमो व भाकपा के अतिरिक्त किसी दल के कोई प्रतिनिधि भी नहीं आये. क्या यही विपक्षी एकता है ? पूछे जाने पर श्री मरांडी ने कहा कि इस मुद्दे पर हम सब साथ हैं. समय पर सभी दिखेंगे भी. सीएनटी मुद्दे पर हम लोगों ने मिलकर और अलग-अलग भी लड़ाई लड़ी थी. तब सरकार को झुकना पड़ा था.