श्री सोरेन के साथ झामुमो सांसद संजीव कुमार और विजय हांसदा भी केंद्रीय गृहमंत्री से मिलने पहुंचे थे. श्री सोरेन ने कहा कि नक्सलियों की आत्मसमर्पण नीति की आड़ में भोले-भाले गरीब आदिवासियों को नक्सली बता कर आत्मसमर्पण कराया गया़ इस मामले मेें सीबीआइ जांच की मांग की गयी थी़ 513 आदिवासी युवकों का आज भी चरित्र प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है़ वे दर-दर भटक रहे है़ं उन्होंने गिरिडीह के पीरटांड़ में मोतीलाल बास्के की मौत का भी मामला उठाया़ श्री सोरेन ने कहा कि मधुवन थाना के सहयोग से अर्द्धसैनिक बलों ने मोतीलाल बास्के की हत्या कर दी. पुलिस प्रमुख ने इसके लिए पुलिस के वरीय पदाधिकारियों को सम्मानित भी किया़ मोतीलाल बास्के दाल-भात व चाय की दुकान चलाता था़ उसका किसी भी थाने में आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था़.
पुलिस नक्सलियों को खोजने के क्रम में ग्रामीणों को प्रताड़ित करती है़ आदिवासी युवकों को रोज झूठे मुकदमे में जेल भेजा जा रहा है़ नक्सली मुखबिर के आरोप में लोगों को मारा जा रहा है़ श्री सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के बदले उन्हें ऊंचे पदों पर बैठा कर सम्मानित करती है़