नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव अरुण सिंह का कहना है कि राज्य के विभिन्न शहरी स्थानीय निकायों में जलापूर्ति, जल निकासी, सिवरेज, साफ-सफाई, स्वच्छता, परिवहन, मनोरंजन, स्ट्रीट लाइट आदि समस्याओं के समुचित समाधान के लिए शहरी निकायों को आर्थिक रूप से सबल बनाने की आवश्यकता है, ताकि निकट भविष्य में निकाय इन सेवाओं को सुव्यवस्थित ढंग से लागू करने में सक्षम हो सके. इसके लिए जरूरी है कि राजस्व संग्रहण की उचित व्यवस्था हो.
अभी राज्य के शहरी निकायों में कुल 8.36 लाख मकान हैं. सेवाओं के एवज में राजस्व वसूली कुल 493.14 करोड़ रुपये होनी चाहिए, पर वसूली 72.14 करोड़ ही हो रही है, जो कि लगभग 14.75 प्रतिशत है. यह निकायों के कमजोर राजस्व संग्रहण प्रबंधन को दर्शाता है. विश्व बैंक द्वारा राज्य सरकार को लगभग 2000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जा रही है. साथ ही राजस्व संग्रहण में सुधार लाने का परामर्श भी दिया गया है. श्री सिंह ने बताया कि नगर विकास एवं आवास विभाग के तहत स्थापित जुडको के स्तर पर राज्य के समस्त शहरी स्थानीय निकायों में राजस्व संग्रहण एवं मॉनिटरिंग कोषांग के रूप में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) का गठन किया गया है.