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काम लिया जा रहा है, पर छह माह से नहीं मिल रहा है वेतन

रांची : मैकेनिकल विंग के 40 क्षेत्रीय कर्मचारियों से सरकार काम तो ले रही है, पर उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है. करीब छह माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है. ऐसे में उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. बच्चों को पढ़ाने-लिखाने से लेकर खाने-पीने तक की समस्या हो गयी है. बीमार […]

रांची : मैकेनिकल विंग के 40 क्षेत्रीय कर्मचारियों से सरकार काम तो ले रही है, पर उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है. करीब छह माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है. ऐसे में उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. बच्चों को पढ़ाने-लिखाने से लेकर खाने-पीने तक की समस्या हो गयी है. बीमार होने पर ढंग से इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं. ये सारे कर्मी चालक या चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के पद पर सचिवालय व अन्य कार्यालय में काम कर रहे हैं. इन्हें पथ निर्माण विभाग ने ही इन कार्यालयों में रखा है. इन्हें वेतन दिलाने का आग्रह अलग-अलग माध्यमों से सरकार से किया जा रहा है.
समायोजित किया गया था : पथ विभाग पहले सड़क का काम ठेकेदारों को न देकर यांत्रिक प्रमंडल के इंजीनियरों के माध्यम से करा लेता था, पर लंबे समय से मैकेनिकल डिवीजन (यांत्रिक प्रमंडल) को कोई काम नहीं दिया गया था. ऐसे में मैकेनिकल सर्किल के साथ ही रांची व साहेबगंज डिवीजन के पास कोई काम नहीं था. छह माह पहले सरकार ने यह फैसला लिया कि इस पूरे विंग को पथ विभाग में समायोजित कर दिया जाये और उससे नये सिरे से काम लिया जाये. इस फैसले को कैबिनेट से पास करा कर पूरे विंग को पथ विभाग में समायोजित कर दिया गया. समायोजित करने के बाद ही क्षेत्रीय कार्यालय के 40 कर्मचारियों को सचिवालय में तैनात किया गया है.
अनुभवी इंजीनियरों से नहीं लिया जा रहा काम
इस विंग में दो कार्यपालक अभियंता, चार सहायक अभियंता सहित 11 कनीय अभियंता थे. इन्हें भी समायोजित किये छह माह हो गये हैं, पर इनसे काम नहीं कराया जा रहा है. सारे इंजीनियर ऐसे ही बैठे हैं. सूत्रों के मुताबिक सड़क बनाने के क्षेत्र में इन इंजीनियरों का अनुभव अच्छा है, फिर भी इनका उपयोग नहीं किया जा रहा है.

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