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निजी प्रैक्टिस करनेवाले एक भी डॉक्टर को अब तक क्यों नहीं पकड़ा

सख्ती. स्वास्थ्य मंत्री ने पूछा, क्या कर रही है रिम्स प्रबंधन की विशेष टीम स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने रिम्स के डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस पर सवाल उठाया है. उन्होंने बुधवार को रिम्स प्रबंधन से अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा निजी प्रैक्टिस करने समेत अन्य सेवाओं से जुड़े कुल नौ बिंदुओं पर जवाब मांगा है. रिम्स […]

सख्ती. स्वास्थ्य मंत्री ने पूछा, क्या कर रही है रिम्स प्रबंधन की विशेष टीम
स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने रिम्स के डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस पर सवाल उठाया है. उन्होंने बुधवार को रिम्स प्रबंधन से अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा निजी प्रैक्टिस करने समेत अन्य सेवाओं से जुड़े कुल नौ बिंदुओं पर जवाब मांगा है. रिम्स प्रबंधन काे इन सभी बिंदुओं पर 24 घंटे में जवाब देना है.
रांची : स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने रिम्स प्रबंधन से पूछा है कि अस्पताल के डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस और उसकी औचक जांच के लिए विशेष टीम बनी थी. उनके ढाई साल के कार्यकाल में क्या इस टीम ने एक भी डॉक्टर को निजी प्रैक्टिस करते हुए पकड़ा है? अगर नहीं पकड़ा, तो इसका मतलब यह हुआ कि रिम्स के डॉक्टर निजी प्रैक्टिस नहीं करते हैं. जबकि, पूरा शहर जानता है कि रिम्स के आसपास और शहर के अन्य हिस्सों में रिम्स के डॉक्टर धड़ल्ले से अपनी दुकान चला रहे हैं.
श्री चंद्रवंशी ने कहा है कि यह प्रावधान है कि अगर रिम्स का कोई डाॅक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए पकड़ा गया, तो उससे पूरी अवधि की राशि वसूली जायेगी. हालांकि, रिम्स के डॉक्टरों पर इस सख्ती का कोई असर होता नहीं दिख रहा है. डॉक्टर नॉन प्रैक्टिस एलाउंस (एनपीए) लेते हैं और घोषणा करते हैं कि वह प्रैक्टिस नहीं करते हैं. जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल उलट है.
नयी पार्किंग शुरू नहीं होने पर जतायी आपत्ति
स्वास्थ्य मंत्री ने रिम्स की नयी पार्किंग के अब तक शुरू नहीं होने पर भी सवाल उठाये हैं. उन्होंने पूछा है कि नयी पार्किंग कब तक शुरू होगी? उन्होंने प्रबंधन से पूछा है कि अस्पताल की कई महत्वपूर्ण मशीनें महीनों खराब रहती हैं. क्या इनकी सालाना मरम्मत नहीं करायी जाती है? करोड़ों की मशीनें आकर यूं ही पड़ी रहती हैं. इन्हें शुरू कराने की जवाबदेही किसकी है? उन्होंने पूछा है कि निदेशक, अधीक्षक और उपाधीक्षक पिछले माह कितनी बार रिम्स का निरीक्षण किया है, इसका तिथिवार विवरण उपलब्ध कराया जाये.
रांची. रिम्स के डॉक्टर अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ अरशद जमाल के समर्थन में आ गये हैं. उन्होंने बुधवार को मिनी ऑडिटोरियम में बैठक कर डॉ जमाल को निलंबित किये जाने का विरोध किया. इसके बाद सभी डॉक्टर प्रभारी निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव से मिलने पहुंचे.
यहां डॉक्टरों ने कहा कि गुड़िया के गलत ऑपरेशन के मामले की जांच अभी चल रही है. जांच पूरी हुए बिना ही डॉ जमाल को निलंबित किया जाना नियम विरुद्ध है. इस पर प्रभारी निदेशक ने कहा कि डाॅ जमाल से स्पष्टीकरण मांगा गया था, जिसका जवाब उन्होंने दे दिया था. स्वास्थ्य मंत्री रिम्स शासी परिषद के अध्यक्ष होते हैं, इसलिए वह निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं. जांच की प्रक्रिया जारी है, रिपोर्ट आने के बाद समीक्षा कर स्वास्थ्य मंत्री को भेज दिया जायेगा. उनके आदेश पर ही निलंबन वापस लिया जा सकता है.
रिम्स में ऑक्सीजन सप्लायर की हुई जांच : रिम्स में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली एजेंसी व सप्लायर की जांच की गयी. मेडिकल ऑफिसर स्टोर के कार्यालय में औषिधि निरीक्षक प्रतिभा झा व पूनम तिर्की ने ऑक्सीजन निर्माता प्रैक्स एयर व सप्लायर साइमेड की फाइलों की जांच शुरू की. टीम यह जांच कर रही है कि रिम्स प्रबंधन ने मानकों को पूरा करते हुए प्रैक्स एयर व साइमेड को ऑक्सीजन सप्लाई कर रही है या नहीं. गौरतलब है कि राज्य औषधि निदेशालय ने जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर सप्लायर साइमेट पर कार्रवाई की थी.
एम्स की तरह क्यों नहीं हो सकती रिम्स की सेवा? रिम्स के प्रभारी निदेशक डाॅ आरके श्रीवास्तव ने बुधवार को विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की. विभागाध्यक्षों से डाॅ श्रीवास्तव ने पूछा कि हम एम्स की तरह यहां की व्यवस्था क्यों नहीं कर सकते हैं? आखिर हमारे पास योग्य डॉक्टर व शिक्षक हैं, अत्याधुनिक मशीनें हैं फिर हम अपग्रेड क्यों नहीं हो सकते हैं? विभाध्यक्षों से सुझाव लिया गया. बैठक में एजी द्वारा दर्ज करायी गयी आपत्ति पर मंथन हुआ, जिसमें एजी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.
मरीजों से हड्डी इंप्लांट मंगाने के बारे में भी पूछा
स्वास्थ्य मंत्री ने रिम्स प्रबंधन से पूछा है कि हड्डी के ऑपरेशन में मरीजों से इंप्लांट बाहर से क्यों मंगाया जाता है? क्या इसे रिम्स को उपलब्ध नहीं कराना है? मंत्री के अनुसार मरीजों से लगातार शिकायत मिल रही है कि रिम्स के डॉक्टर उनसे इंप्लांट मंगाते हैं. विशेषकर एक डॉक्टर की शिकायत ज्यादा मिल रही है. हड्डी विभाग में महीनों तक ऑपरेशन को लंबित करने का भी मामला सामने आ रहा है. यह आम बात है. आखिर यह समस्या क्यों है?

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