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1000 वर्गफीट के घर पर 14 हजार लेबर सेस

रांची : राजधानी में अपनी जमीन पर मकान बनाने के लिए अब आपको एक प्रतिशत लेबर सेस देना होगा. भवन कर्मकार अधिनियम के तहत नगर निगम अब भवन निर्माताओं से लेबर सेस वसूलेगा. भवन निर्माता को एक हजार वर्गफीट मकान के निर्माण पर 14 हजार रुपये लेबर सेस के रूप में निगम में जमा करना […]

रांची : राजधानी में अपनी जमीन पर मकान बनाने के लिए अब आपको एक प्रतिशत लेबर सेस देना होगा. भवन कर्मकार अधिनियम के तहत नगर निगम अब भवन निर्माताओं से लेबर सेस वसूलेगा. भवन निर्माता को एक हजार वर्गफीट मकान के निर्माण पर 14 हजार रुपये लेबर सेस के रूप में निगम में जमा करना होगा. रांची नगर निगम अपने क्षेत्राधिकार के 55 वार्डों में आठ वर्षों से छोटे भवनों पर लेबर सेस नहीं वसूलता था.

इस संबंध में नगर निगम को सरकार से कोई स्पष्ट निर्देश भी नहीं था. एजी ऑडिट की आपत्ति के बाद रांची नगर निगम ने लेबर सेस वसूलने का निर्णय लिया. एक और निगम जहां आठ वर्षों से छोटे भवनों से लेबर सेस नहीं वसूलता था. वहीं आरआरडीए अब भी ग्रामीण क्षेत्र में भवन निर्माताओं से यह सेस वसूल रहा है. इस सेस को समाप्त करने के लिए आरआरडीए ने भी सरकार को पत्र लिखा है. हालांकि सरकार की और से इस संबंध में अब तक कोई दिशा निर्देश आरआरडीए को नहीं मिला है.
ऐसा है लेबर सेस का गणित
भवन कर्मकार अधिनियम के तहत मजदूरों के हितों के लिए सरकार एक प्रतिशत राशि लेबर सेस के रूप में भवन निर्माता से लेती है. वर्तमान में सरकार द्वारा भवन निर्माण की दर तय की गयी है. इसके तहत एक वर्गफीट भवन के निर्माण की लागत 1400 रुपया मान कर लेबर सेस की गणना की गयी है. निर्माण लागत के भवन के क्षेत्रफल से गुना कर उसके परिणाम के एक प्रतिशत को लेबर सेस माना जाता है. इस प्रकार एक हजार वर्गफीट के मकान पर निर्माण लागत 14 लाख रुपये आत है. इसका एक प्रतिशत 14 हजार रुपये होगा. भवन के क्षेत्रफल में वृद्धि होने पर इस रकम की संख्या में उपरोक्त गणना के हिसाब से ही सेस की दर में वृद्धि हो जायेगी.
बहुमंजिली इमारतों पर पहले से लागू है यह सेस
रांची नगर निगम अपने क्षेत्राधिकार के बहुमंजिली इमारतों से लेबर सेस वसूलता है. बहुमंजिली इमारतों से सेस वसूलने व छोटे मकानों से सेस नहीं वसूले जाने के संबंध में निगम के अधिकारी तर्क देते हैं कि बहुमंजिली इमारतें व्यावसायिक होती हैं. इसलिए उनसे सेस लिया जाता है. छोटे भवन आम लोगों के होते हैं. इसलिए इनसे सेस नहीं वसूला जाता था.

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