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बगैर शर्त पूरी किये संस्थाओं को दे दी गयी भूदान की जमीन
रांची : झारखंड में भूदान (भूमिहीनों को दी जाने वाली) की जमीन सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को दी गयी है, पर इसके लिए आवश्यक शर्तों का पालन नहीं किया गया. भूदान की जितनी जमीन सरकार ने ली, उसके बदले उतनी जमीन भूदान यज्ञ कमेटी को नहीं मिली है. हजारीबाग जिले में विनोबा भावे विवि […]
रांची : झारखंड में भूदान (भूमिहीनों को दी जाने वाली) की जमीन सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को दी गयी है, पर इसके लिए आवश्यक शर्तों का पालन नहीं किया गया. भूदान की जितनी जमीन सरकार ने ली, उसके बदले उतनी जमीन भूदान यज्ञ कमेटी को नहीं मिली है. हजारीबाग जिले में विनोबा भावे विवि के लिए भी भूदान की जमीन का इस्तेमाल हुआ, पर इसके बदले कहीं अौर जमीन नहीं मिली. बिहार व झारखंड में भूदान की करीब 18 हजार एकड़ जमीन 59 संस्थाओं को दे दी गयी, पर कहीं भी सरकार ने इसके बदले जमीन नहीं दी.भूदान के नियमों के अनुसार, भूदान की जमीन सिर्फ भूमिहीनों के लिए है.
आचार्य विनोबा भावे व फिर जयप्रकाश नारायण की ओर से संचालित भूदान यज्ञ के उद्देश्य के बारे में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भूमिहीन का मतलब वैसे लोगों से है, जिनकी आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ किया था कि इसका मतलब उन धनी लोगों से नहीं है, जो शहरों में रह रहे हैं तथा जिनके पास अपनी संपत्ति तो है, लेकिन गांव या तहसील में उनके नाम से खेती के लिए जमीन नहीं है. इधर, इस व्याख्या के बावजूद भूमिहीनों को दी जाने वाली हजारों एकड़ जमीन संस्थाओं को दे दी गयी.
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